Dhanteras 2021: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मां लक्ष्मी की पूजा की परंपरा है, इस दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी के साथ धनवंतरी और धन के देवता कुबेर की पूजा का खास महत्व है. दिवाली के दो दिन पहले पड़ने वाले धनतेरस (Dhanteras 2021) को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं, इससे जुड़ी कई कहानियां भी हैं. एक कहानी जो इस पर्व को लेकर बेहद प्रचलित है वो मां लक्ष्मी के धरती पर वास से जुड़ी है.
धनतेरस की कथा
कहते हैं कि एक समय भगवान विष्णु धरती पर विचरण के लिए जा रहे थे, तभी माता लक्ष्मी भी साथ चलने के लिए कहने लगीं. विष्णु जी ने कहा कि मैं जैसा कहूंगा अगर उसका पूरा पालन करने का वादा करती हैं तो ही मैं आपको साथ लेकर जा सकता हूं. माता लक्ष्मी ने उनकी इस बात को स्वीकार किया और दोनों धरती पर आ गए. पृथ्वी पर पहुंचकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी से कहा कि आप यहां ठहरो मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं, आप वहां न आएं. माता वहीं ठहर गईं, लेकिन कुछ समय बाद उनके मन में कौतुहल होने लगा कि आखिर दक्षिण दिशा में ऐसा क्या है कि प्रभु मुझे वहां साथ नहीं लेकर गए.
भगवान विष्णु के पीछे-पीछे चली गईं मां लक्ष्मी
माता लक्ष्मी से रहा नहीं गया और वे भी विष्णु जी के पीछे-पीछे निकल गईं. मां को रास्ते में सरसों का खेत मिला, खेत में खूबसूरत सरसों के फूल लगे थे, मां मोहित हो गईं और फूल तोड़कर श्रृंगार करने के बाद आगे बढ़ीं. आगे गन्ने का खेत मिला, माता ने गन्ना तोड़कर खाया. तभी वहां विष्णु जी आ पहुंचे और माता लक्ष्मी को देखकर बड़े ही नाराज हुए. उन्होंने कहा कि तुमने मेरी बात न मानते हुए इस ओर आकर किसान का नुकसान कर अपराध कर डाला है. उन्होंने लक्ष्मी जी को श्राप दिया कि अब आपको किसान के घर 12 वर्षों तक रहना पड़ेगा. इसके बाद से मां लक्ष्मी गरीब किसान के घर रहने लग गईं.
किसान के घर ठहरीं माता लक्ष्मी
किसान के घर रहते हुए एक दिन देवी ने किसान की पत्नी से कहा कि तुम सुबह स्नान करते देवी लक्ष्मी का पूजन करो, फिर रसोई बनाना ऐसा करने से तुम, जो मांगोगी वो मिलेगा. किसान की पत्नी ने देवी की बात मानकर ऐसा ही किया. पूजा के प्रभाव और मां की कृपा से किसान का घर धन-धान्य, रत्न और आभूषणों से भर गया. माता की कृपा से किसान के 12 साल बड़े ही आनंद से कटे. 12 सालों के बाद जब माता लक्ष्मी के जाने की बेला आई तो किसान हठ कर बैठा कि वे उसके घर से न जाएं. तब विष्णु भगवान ने कहा कि इन्हें कोई नहीं रोक सकता, ये चंचला हैं.
ऐसे शुरू हुई धनतेरस की पूजा
किसान अपनी हठ पर अड़ा रहा और माता लक्ष्मी को जाने देने से इंकार करता रहा. तब माता लक्ष्मी ने किसान से कहा कि अगर तुम चाहते हो कि मैं हमेशा तुम्हारे घर में वास करूं तो जैसा कहती हूं वैसा करो. कल कार्तिक की तेरस तिथि है. तुम घर को लीप-पोत कर साफ-सुथरा करके शाम के वक्त घी का दीपक जलाकर मेरी पूजा करना. एक तांबे के कलश में रुपए भर कर रखना, मैं उस कलश में निवास करूंगी. इस एक दिन की पूजा से पूरे सालभर मैं तुम्हारे घर से नहीं जाऊंगी. अगले दिन किसान ने लक्ष्मीजी के कहे मुताबिक वैसा ही किया. किसान का घर धन-धान्य से भरा रहा. इसी मान्यता की वजह से हर साल कार्तिक मास की तेरस को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है और माता लक्ष्मी की पूजा होती है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं