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गुरुवार के दिन कौन से भगवान की होती है पूजा, क्या है महत्व और पौराणिक कथा, जानिए ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र से

भगवान विष्णु तीनों लोकों के स्वामी और जगत के पालन हार हैं. सभी प्राणियों का संरक्षण, रक्षण, पालन पोषण करने वाले देव हैं. 

गुरुवार के दिन कौन से भगवान की होती है पूजा, क्या है महत्व और पौराणिक कथा, जानिए ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र से
पूजन के पश्चात आपको बृहस्पति भगवान की कथा सुननी चाहिए.

Guruwar puja aur katha : पंडित अरविंद मिश्र बताते हैं कि हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता से जुड़ा हुआ है. बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा एवं देव गुरु बृहस्पति को समर्पित है. भगवान विष्णु तीनों लोकों के स्वामी और जगत के पालन हार हैं. सभी प्राणियों का संरक्षण, रक्षण, पालन पोषण करने वाले देव हैं. गुरुवार को उनकी पूजा करने से सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है. धन संपत्ति, मान प्रतिष्ठा,संतान सुख, माता लक्ष्मी की कृपा,धन वैभव मानसिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. विष्णु सहस्त्रनाम आदि का पाठ विशेष रूप से बृहस्पतिवार को करना प्रभावशाली माना जाता है.

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गुरुवार व्रत का महत्व - Guruwar puja significance

इस दिन श्रीमद भागवत पुराण का पाठ  करना विशेष रूप से लाभकारी है. भगवान श्री राम की पूजा, भगवान श्री कृष्ण की पूजा भी बृहस्पतिवार को करना श्रेष्ठ रहता है. देव गुरु बृहस्पति सारे देवताओं के गुरु हैं. वे शिक्षा, बुद्धि और ज्ञान के कारक हैं.

उनकी पूजा करने से समाज में सम्मान प्रतिष्ठा, अध्ययन में रुचि, पारिवारिक सौहार्द में वृद्धि, आध्यात्मिक उन्नति, आध्यात्मिक कार्यों में अभिरुचि, दांपत्य सुख-वैभव की वृद्धि होती है.

बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु जी की पूजा व्रत विधि-विधान से करना बहुत फलदायी होता है. पीले रंग की चीजें ,हल्दी केसर, गुड़, चना, केले, पीले वस्त्र, देसी घी तुलसी की माला आदि का दान बृहस्पतिवार को करने से जीवन में स्थिरता, समृद्धि, ग्रह दोष से शांति मिलती है.

ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र आगे बताते हैं कि  भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए आपको सही पूजा नियमों का पालन करना जरूरी है.   

गुरुवार व्रत पूजा विधि - Guruwar puja vidhi

इस दिन आप दिन में एक समय ही भोजन करें. भोजन भी चने की दाल का होना चाहिए. इस दिन आपको नमक नहीं खाना चाहिए.

इस दिन पुरुषों को बाल या दाढ़ी नहीं बनवानी चाहिए पीले रंग का फूल, चने की दाल, पीले कपड़े तथा पीले चन्दन से पूजा करनी चाहिए.

इस व्रत में केले की पूजा की जाती है.इस दिन आप पीले वस्त्र धारण करें.यह रंग भगवान को बहुत प्रिय है. 

पूजन के पश्चात आपको बृहस्पति भगवान की कथा सुननी चाहिए.

गुरुवार व्रत कथा - Guruwar vrat katha

किसी गांव में एक साहूकार रहता था, जिसके घर में अन्न, वस्त्र और धन किसी की कोई कमी नहीं थी. परन्तु उसकी स्त्री बहुत ही कृपण थी. किसी भिक्षुक को कुछ नहीं देती थी. सारे दिन घर के कामकाज में लगी रहती. एक समय एक साधु-महात्मा बृहस्पतिवार के दिन उसके द्वार पर आये और भिक्षा की याचना की. स्त्री उस समय घर के आंगन को लीप रही थी. इस कारण साधु महाराज से कहने लगी कि महाराज इस समय तो मैं घर लीप रही हूं, आपको कुछ नहीं दे सकती. फिर किसी दिन आना. साधु महात्मा खाली हाथ चले गए. कुछ दिन के पश्चात यही साधु महाराज आये. उसी तरह भिक्षा मांगी. साहूकारनी उस समय लड़के को खिला रही थी. कहने लगी महाराज मैं क्या करूँ अभी खाली नहीं है, इसलिए आपको भिक्षा नहीं दे सकती. तीसरी बार महात्मा आए तो उसने उन्हें उसी तरह से टालना चाहा परन्तु महात्मा जी कहने लगे कि यदि तुमको बिल्कुल ही अवकाश हो जाए तो मुझको भिक्षा दोगी ?

साहूकारनी कहने लगी कि हां महाराज यदि ऐसा हो जाए तो आपकी बड़ी कृपा होगी. साधु महात्मा जी कहने लगे कि अच्छा में एक उपाय बताता हूं. तुम बृहस्पतिवार का दिन चढ़ने पर उठो और सारे घर में झाडू लगाकर कूड़ा एक कोने में जमा करके रख दो. घर में चौका गाटि मत लगाओ. फिर स्नान आदि करके घर वालों से कह दो, उस दिन सब हजामत अवश्य बनवायें. रसोई बनाकर चूल्हे के पीछे रखा करो, सामने कभी न रक्खो. सायंकाल को अंधेरा होने के बाद दीपक जलाया करो तथा बृहस्पतिवार को पीले वस्त्र मत धारण करो, न पीले रंग की चीजों का भोजन करो.यदि ऐसा करोगे तो तुमको घर का कोई काम नहीं करना पड़ेगा.

साहूकारनी ने ऐसा ही किया. बृहस्पतिवार को दिन चढ़े उठी. झाडू लगाकर कूड़े को घर में जमा कर दिया. पुरुषों ने हजामत बनवाई. भोजन बनवाकर चूल्हे के पीछे रखा. वह सभी बृहस्पतिवार को ऐसा ही करती रही. अब कुछ समय के बाद उसके घर में खाने को एक दाना भी नहीं था. थोड़े दिनों में महात्मा फिर आए और भिक्षा मांगी परन्तु सेठानी ने कहा महाराज मेरे घर में खाने को अन्न नहीं है, आपको क्या दे सकती हूं. तब महात्मा ने कहा कि जब तुम्हारे घर में सब कुछ था तब भी तुम कुछ नहीं देती थी. अब पूरा-पूरा अवकाश है तब भी कुछ नहीं दे रही हो, तुम क्या चाहती हो?

तब सेठानी ने हाथ जोड़कर प्रार्थना की महाराज अब कोई ऐसा उपाय बताओ कि पहले जैसा धन-धान्य हो जाये. अब मैं प्रतिज्ञा करती हूं कि जैसा आप कहेंगे वैसा ही करूंगी. तब महात्मा जी ने कहा- "बृहस्पतिवार को प्रातःकाल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर घर गौ के गोबर से लीपो तथा घर के पुरुष हजामत न बनवायें. भूखों को अन्न-जल देती रहा करो. ठीक सायंकाल दीपक जलाओ. यदि ऐसा करोगी तो तुम्हारी सब मनोकामनाएं भगवान बृहस्पति जी की कृपा से पूर्ण होगी. सेठानी ने ऐसा ही किया और उसके घर में धन-धान्य वैसा ही हो गया जैसा कि पहले था. इस प्रकार भगवान बृहस्पतिजी की कृपा से अनेक प्रकार के सुख भोगकर दीर्घकाल तक जीवित रही.

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