Guru Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूरे मनोभाव से पूजा की जाए तो जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, घर में खुशहाली आती है, वैवाहिक जीवन अच्छा रहता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है. पंचांग के अनुसार, हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन भक्त प्रदोष काल में महादेव (Lord Shiva) का पूजन करते हैं. इस महीने आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत आज 18 जुलाई, गुरुवार के दिन रखा जा रहा है. गुरुवार के दिन पड़ने के चलते इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है. जानिए किस तरह इस दिन महादेव का पूजन किया जा सकता है.
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गुरु प्रदोष व्रत की पूजा | Guru Pradosh Vrat Puja
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई की रात 8 बजकर 44 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 19 जुलाई की शाम 7 बजकर 41 मिनट पर हो जाएगा. प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurt) 18 जुलाई की रात 8 बजकर 44 मिनट से रात के 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. यह प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त होगा. माना जाता है कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल के दौरान करना अत्यंत लाभकारी होता है. इससे घर-परिवार पर भोलेनाथ की विशेष कृपादृष्टि पड़ती है. प्रदोष व्रत की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति भी होती है. इसीलिए महिलाएं खासतौर से इस व्रत को करती हैं.
प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद भक्त सुबह के समय शिव मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन करके आते हैं, लेकिन प्रदोष व्रत की पूजा रात के समय ही की जाती है. प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए भगवान भोलेनाथ पर गंगाजल से अभिषेक किया जाता है. भगवान शिव के समक्ष सफेद भोग चढ़ाया जाता है, बेलपत्र, फल, फूल व धूप आदि रखे जाते हैं. आठ दीपक जलाए जाते हैं और "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप किया जाता है. भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती (Mata Parvati) का पूजन भी किया जाता है. पूजा समाप्त होने के बाद अपनी मनोकामनाएं भोलेनाथ और माता पार्वती से कही जाती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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