Guru Pradosh puja Vidhi : गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव (Shiv puja) को समर्पित व्रत है. प्रदोष व्रत महीने में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है. सप्ताह के जिस दिन यह व्रत पड़ता है, उसके आधार पर इसके अलग-अलग नाम भी हैं, जैसे - सोमवार को आने वाले प्रदोष को सोम प्रदोष, मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष और शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष को शनि प्रदोष कहते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं 28 नवंबर को पड़ने वाले गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि (Pradosh vrat puja vidhi) और महत्व.
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गुरु प्रदोष व्रत मुहूर्त नवंबर 2024
हिन्दू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (Krishna Paksh tryodashi tithi) तिथि 28 नवंबर को सुबह 06:23 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, त्रयोदशी तिथि 29 नवंबर को सुबह 08:39 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि (Udayatithi) पड़ने के कारण 28 नवंबर को गुरु प्रदोष व्रत रखा जाएगा.
गुरु प्रदोष व्रत पूजा विधि - Guru Pradosh Vrat Puja Vidhi
इस दिन आप सुबह जल्दी उठें, स्नान करके साफ कपड़े पहन लीजिए. फिर भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प लीजिए.इस दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान धतूरा, बेलपत्र, फल और मिठाई प्रसाद में चढ़ाएं. फिर धूप और मिट्टी के दीपक से उनकी आरती करें. इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा (Pradosh vrat katha) पढ़िए. अंत में शिव-पार्वती की आरती (Lord Shiva &devi Parvati arti) करें और उन्हें भोग लगाएं.
गुरु प्रदोष व्रत महत्व - Significance of guru pradosh vrat
प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है इस समय वह अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए ब्राह्मांडिय तांडव नृत्य करते हैं. यह भी कहा जाता है कि प्रदोष काल (Pradosh kal kab se kab tak hai) के दौरान व्रत रखने और पूजा करने से भक्त की सारी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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