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This Article is From Feb 02, 2022

Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्रि के पहले दिन इस तरह करें मां शैलपुत्री की पूजा

गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. गुप्त नवरात्रि आज (02 जुलाई) से शुरु हो रही हैं. आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए किसी विधि से देवी की पूजा करनी चाहिए.

Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्रि के पहले दिन इस तरह करें मां शैलपुत्री की पूजा
Gupt Navratri 2022: पहले दिन होगी मां शैलपुत्री की पूजा, जानिए पूजा का महत्व
नई दिल्ली:

गुप्त नवरात्रि आज (02 जुलाई) से शुरु हो रही हैं. आज गुप्त नवरात्रि का पहला दिन है. गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं, देवी को प्रसन्न करने के लिए भक्त आज के दिन पूजा-पाठ के साथ-साथ व्रत भी रखते हैं. शारदीय नवरात्रि में जहां मां के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, तो वहीं गुप्त नवरात्रि में मां आदि शक्ति की दसमहा विद्याओं की साधना की जाती है. घटस्थापना या कलश को भगवान गौरी गणेश का रूप माना जाता है. हिन्दू धर्म में किसी भी देवी-देवता की पूजा से पहले भगवान गणपति महाराज का पूजन किया जाता है, इसलिए नवरात्रि की पूजा करने से पहले कलश स्थापित किया जाता है. आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए किसी विधि से देवी की पूजा करनी चाहिए.

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गुप्त नवरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त | Gupt Navratri Shubh Muhurat

गुप्त नवरात्रि में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त- प्रातः काल 7 बजकर 9 मिनट से लेकर 8 बजकर 31 मिनट तक है.

इस दौरान साधक कलश स्थापना कर मां की पूजा-अर्चना कर सकते हैं.

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पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा | Gupt Navratri Worship

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां के इस स्वरूप को सौभाग्य और शांति का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा करने से मन शांत रहता और घर में सौभाग्य का आगमन होता है. इसके साथ ही मां शैलपुत्री स्थायित्व और शक्तिमान का वरदान देती हैं.

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इस विधि से करें मां शैलपुत्री की पूजा | Gupt Navratri Puja Vidhi

प्रातः काल स्नान-ध्यान के बाद पूजा घर में दिया जलाएं.

कलश स्थापना के बाद उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाये) की स्थापना भी करें.

इसके बाद मां के सामने हाथ जोड़कर व्रत और पूजन का संकल्प लें.

मां को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं, चंदन, रोली, हल्दी, बिल्वपत्र, फूल, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, फूलों का हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा आदि अर्पित करें.

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इस मंत्र का करें जाप | Maa Shailputri Puja Mantra

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृतशेखराम्।

वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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