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This Article is From Dec 27, 2022

Gudi Padwa 2023: नए साल में कब है गुड़ी पड़वा, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

Gudi Padwa 2023: गुड़ी पड़वा पर्व का हिंदू धर्म में खास महत्व है. यह पर्व हर साल चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. आइए जानते हैं 2023 में गुड़ी पड़वा का पर्व कब मनाया जाएगा.

Gudi Padwa 2023: नए साल में कब है गुड़ी पड़वा, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त
Gudi Padwa 2023: यहां जानिए कब मनाया जाएगी गुड़ी पड़वा का त्योहार.

Gudi Padwa 2023: हिंदू कैलेंडर का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है. इस दिन एक ओर जहां हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है, वहीं गुड़ी पड़वा का त्योहार भी मनाया जाता है. गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का मुख्य पर्व है. इस तिथि को नवसंवत्सर भी कहा जाता है. गुड़ी पड़वा का शाब्दिक अर्थ होता है- विजय का पर्व. गुड़ी पड़वा को मराठी समुदाय के लोग बेहद हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं. इस दिन लोग अपने घर के बाहर गुड़ी (विजय पताका) बांधकर उसकी पूजा-आर्चना करते हैं. गुड़ी को समृद्धि का सूचक माना गया है. नया साल सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य लेकर आए, इसी कामना के साथ इसकी पूजा की जाती है. आइए जानते हैं नए साल 2023 में गुड़ी पड़वा कब है, मुहूर्त और इसका महत्व.

गुड़ी पड़वा 2023 डेट | Gudi Padwa 2023 Date

गुड़ी पड़वा का त्योहार 22 मार्च 2023 को मनाया जाएगा. इस दिन को कर्नाटक में युगादि और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में उगादी के नाम से मनाया जाता है. कश्मीर में ‘नवरेह', मणिपुर में सजिबु नोंगमा पानबा कहा जाता है. वहीं गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय के लोग इसे संवत्सर पड़वो का पर्व मनाते हैं. सिंधि समुदाय के लोग इस दिन चेती चंड का पर्व मनाते हैं. 

गुड़ी पड़वा 2023 मुहूर्त | Gudi Padwa 2023 Muhurat

पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की  प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 को रात 10 बजकर 52 मिनट से आरंभ होगी और अगले दिन 22 मार्च 2023 को रात 8 बजकर 20 मिनट पर इसका समापन होगा. उदयातिथि के अनुसार गुड़ी पड़वा 22 मार्च 2023 को है.

- पूजा मुहूर्त - सुबह 06.29 - सुबह 07.39 (22 मार्च 2023)


गुड़ी पड़वा महत्व | Gudi Padwa Significance


शास्त्रों के अनुसार गुड़ी पड़वा को संसार का पहला दिन भी माना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी, संसार में सूर्य देव पहली बार उदित हुए थे. वहीं पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम ने इसी दिन बालि का वध करके लोगों को उसके आतंक से छुटकारा दिलाया था. इस दिन को लोग विजय दिवस के रूप में मनाते हैं. यही वजह है कि इस खुशी के मौके पर घरों के बाहर रंगोली बनाई  हैं और विजय पताला लहराकर जश्न मनया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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