छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर क्षेत्र की एक जीवनदायिनी नदी है खारून। इस नदी के किनारे एक ऐतिहासिक घाट है, जिसका नाम है महादेवघाट। यहां हर हाल कार्तिक पूर्णिमा पर एक विशाल मेला लगता है। स्थानीय लोग इस मेले को पुन्नी मेला कहते हैं।
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श्रद्धालुओं और अनेक लोगों का मानना है कि इस दो दिवसीय मेले के मौके पर खारुन नदी के इस घाट पर डुबकी लगाने से पुण्य की प्राप्ति होती है। लोगों का यह भी मानना है कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर इस नदी में स्नान करने से शारीरिक रोग और व्याधियां भी दूर होती हैं और शरीर निरोग रहता है। इसलिए श्रद्धालु ब्रह्ममुहूर्त में श्रद्धापूर्वक नदी में स्नान करते हैं और दान देते हैं।
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लेकिन इस नदी में स्नान से जुड़ी एक मान्यता बड़ी अजीब है जिसके कारण यहां विवाहिता और कुंवारी लड़कियां विशेष रूप से यहां आती हैं। आस्था कहें या अंधविश्वास, लोगों का मानना है कि विवाहिता यदि पूरे कार्तिक मास में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नदी में स्नान कर सूर्य देव को अर्ध्य अर्पित करे तो वह अखंड सौभाग्यवती होती है और पारिवारिक सुख-समृद्धि बढ़ती है।
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वहीं कुंवारी कन्याएं यदि निष्ठापूर्वक स्नान, पूजा करें तो उन्हें मनपसंद वर मिलता है। इन्हीं मान्यताओं के कारण यहां महिलाएं और युवतियां पूरे कार्तिक महीने भर डेरा जमाये रहती हैं। उल्लेखनीय है कि अनेक हिन्दू शास्त्रों में यह वर्णन मिलता है कि कार्तिक माह में नदी और सरोवर में स्नान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति और पुण्य अर्जित होता है।
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श्रद्धालुओं और अनेक लोगों का मानना है कि इस दो दिवसीय मेले के मौके पर खारुन नदी के इस घाट पर डुबकी लगाने से पुण्य की प्राप्ति होती है। लोगों का यह भी मानना है कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर इस नदी में स्नान करने से शारीरिक रोग और व्याधियां भी दूर होती हैं और शरीर निरोग रहता है। इसलिए श्रद्धालु ब्रह्ममुहूर्त में श्रद्धापूर्वक नदी में स्नान करते हैं और दान देते हैं।
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