प्रतीकात्मक चित्र
इसे आप आस्था कहें या अन्धविश्वास लेकिन यह सच है, उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले के बहजोई के पास स्थित सदत्बदी नामक एक गांव के मंदिर में लोग भगवान शिव को झाड़ू चढ़ाते हैं। जिले में पातालेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर को काफी प्राचीन माना जाता है।
सीकों वाली झाड़ू चढ़ाते हैं श्रद्धालु...
यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां भगवान शिव को झाड़ू अर्पित करने से त्वचा-संबंधी रोग दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि यहां हर समय लोगों की लंबी-लंबी कतारें लगती हैं और लोग दूध, जल, फल-फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरे के साथ-साथ सीकों वाली झाड़ू भी चढ़ाते हैं।
क्या कहती है यहां की प्रचलित किंवदंती...
इस मंदिर से जुड़ी एक किंवदंती के अनुसार, कभी इस गांव में भिखारीदास नाम का एक धनी व्यापारी रहता था, जो अपनी त्वचा रोग से बड़ा परेशान था। एक दिन वह अपने रोग का इलाज कराने के लिए वैद्य के पास जा रहा था, तभी उसे बड़े जोरों की प्यास लगी।
बिना इलाज के व्यापारी हुआ चंगा...
तब वह व्यापारी इस शिवालय, जो कि उस समय एक छोटा पूजा-स्थल मात्र था, में पानी पीने आया था। लेकिन संयोगवश वह मंदिर में झाड़ू लगा रहे महंत से टकरा गया। कहते हैं कि इसके बाद बिना इलाज करवाए ही उसका रोग दूर हो गया। तब व्यापारी ने खुश होकर महंत को धन देना चाहा, लेकिन महंत ने धन लेने से मना करते हुए कहा कि इसके बदले यहां मंदिर बनवाने के कहा। महंत के कहे अनुसार व्यापारी ने वहां मंदिर बनवाया और तभी यह बात फैलने लगी यहां त्वचा रोग होने पर यहां झाड़ू चढ़ानी चाहिए। यही कारण है आज भी श्रद्धालु यहां आकर झाड़ू चढ़ाते हैं।
सावन में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़...
सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ उमड़ती है| यहां कांवरिये हरिद्वार से गंगाजल लाकर शिव का अभिषेक करते हैं| चूंकि हिन्दू धर्म में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ दिन माना जाता है, इसलिए सोमवार को भी यहां भारी भीड़ जमा होती है।
सीकों वाली झाड़ू चढ़ाते हैं श्रद्धालु...
यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां भगवान शिव को झाड़ू अर्पित करने से त्वचा-संबंधी रोग दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि यहां हर समय लोगों की लंबी-लंबी कतारें लगती हैं और लोग दूध, जल, फल-फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरे के साथ-साथ सीकों वाली झाड़ू भी चढ़ाते हैं।
क्या कहती है यहां की प्रचलित किंवदंती...
इस मंदिर से जुड़ी एक किंवदंती के अनुसार, कभी इस गांव में भिखारीदास नाम का एक धनी व्यापारी रहता था, जो अपनी त्वचा रोग से बड़ा परेशान था। एक दिन वह अपने रोग का इलाज कराने के लिए वैद्य के पास जा रहा था, तभी उसे बड़े जोरों की प्यास लगी।
बिना इलाज के व्यापारी हुआ चंगा...
तब वह व्यापारी इस शिवालय, जो कि उस समय एक छोटा पूजा-स्थल मात्र था, में पानी पीने आया था। लेकिन संयोगवश वह मंदिर में झाड़ू लगा रहे महंत से टकरा गया। कहते हैं कि इसके बाद बिना इलाज करवाए ही उसका रोग दूर हो गया। तब व्यापारी ने खुश होकर महंत को धन देना चाहा, लेकिन महंत ने धन लेने से मना करते हुए कहा कि इसके बदले यहां मंदिर बनवाने के कहा। महंत के कहे अनुसार व्यापारी ने वहां मंदिर बनवाया और तभी यह बात फैलने लगी यहां त्वचा रोग होने पर यहां झाड़ू चढ़ानी चाहिए। यही कारण है आज भी श्रद्धालु यहां आकर झाड़ू चढ़ाते हैं।
सावन में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़...
सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ उमड़ती है| यहां कांवरिये हरिद्वार से गंगाजल लाकर शिव का अभिषेक करते हैं| चूंकि हिन्दू धर्म में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ दिन माना जाता है, इसलिए सोमवार को भी यहां भारी भीड़ जमा होती है।
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