Eid-e-Milad 2022: Date, History, and Significance: ईद मिलाद उन नबी पर्व का इस्लाम धर्म में खास महत्व है. दरअसल इस पर्व को इस्लाम धर्म के लोग पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्म दिन के रूप में मनाते हैं. इस पर्व को ईद-ए-मिलाद का रूप में भी जाना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक यह पर्व हर साल रबी-उल-अव्वल के 12 वें दिन मनाया जाता है. साल 2022 में ईद-ए-मिलाद का त्योहार 09 अक्टूबर को मनाया जाएगा. मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर लोग उन्हें याद करते हुए जुलूस निकालते हैं. इसके अलावा इस दिन जगह-जगह बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म
इस्लाम धर्म के मुताबिक पैगंबर मुहम्मद साहब का जन्म अरब से मक्का शहर में 571 ईस्वी में हुआ था. कहा जाता है कि पैगंबर मोहम्मद जब 6 वर्ष की अवस्था के थे तो उनकी माता का इंतकाल हो गया था. जिसके बाद उनके चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब ने उनकी परवरिश की. पैगंबर मुहम्मद के पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था. पैगंबर मुहम्मद साहब के पिता की मृत्यु उनके जन्म से हो चुकी थी. इस्लाम धर्म की मान्यता है कि अल्लाह ने ही सबसे पहले पैगंबर मोहम्मद को कुरान अता की थी. जिसके बाद पैगंबर मोहम्मद साहब ने पवित्र कुरान का संदेश दुनिया को कोने-कोने में पहुंचाया.
ईद-ए-मिलाद- उन-नबी का महत्व
ईद-मिलाद-उन-नबी को हजरत पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. इस दिन उनकी याद में पूरी रात प्रार्थना की जाती हैं. इसके साथ ही जगह-जगह जुलूस निकाले जाते हैं. सुन्नी मुसलमान इस दिन हजरत मोहम्मद के पवित्र वचनों को पढ़ते हैं और उन्हें याद करते हैं. वहीं, शिया मुसलमान मोहम्मद को अपना उत्तराधिकारी मानते हैं. हजरत मुहम्मद के जन्मदिन को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के नाम से मनाया जाता है.
कैसे मनाया जाता है ईद-ए-मिलाद
पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिवस के अवसर पर घरों और मस्ज़िदों को सजाया जाता है. नमाज़ों और संदेशों को पढ़ने के साथ-साथ गरीबों को दान दिया जाता है, उन्हें खाना खिलाया जाता है. इस दिन जो लोग मस्जिद नहीं जा पाते वो घर में कुरान की आयते पढ़ते हैं. इस्लामिक मान्यता है कि ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन कुरान का पाठ करने से अल्लाह का रहम बरसता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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