ईद (Eid) क्यों मनाई जाती है?
नई दिल्ली:
ईद, मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्योहार है. हिन्दी में ईद का अर्थ त्योहार या पर्व होता है. मुसलमानों के लिए यह एक ऐसा दिन जब वो खुशियां मनाते हैं, दावत का लुत्फ उठाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और ईदगाह जाकर खुदा की इबादत करते हैं. सिर्फ मुसलमान ही नहीं सभी धर्मों के लोग ईद के जश्न में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. ईद का दिन चांद तय करता है. रमज़ान की आखिरी रात का चांद ही बताता है कि अगले दिन ईद होगी या नहीं. इस बार भारत में केरल राज्य को छोड़कर ईद 16 जून को मनाई जा रही है. यहां जानिए कि आखिर ईद क्या होती है और क्यों मनाई जाती है.
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ईद क्या है?
ईद का अर्थ है जश्न मनाना. इस्लाम धर्म में साल में दो बाद ईद मनाई जाती है. पहली मीठी ईद जिसे ईद उल-फितर कहा जाता है और दूसरी बकरी ईद को ईद उल-जुहा कहा जाता है. रमज़ान के महीने में 30 दिन के रोज़े के बाद जो ईद होती है उसे ईद-उल-फितर कहते हैं. इसे मीठी ईद भी कहा जाता है. वहीं, बकरी ईद को कुर्रबानी की ईद माना जाता है. बकरी ईद को रमज़ान खत्म होने के 70वें दिन मनाया जाता है.
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ईद उल-फितर क्यों मनाई जाती है?
मान्यता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय हासिल की थी, इसी खुशी में ईद उल-फितर मनाई जाती है. माना जाता है कि पहली बार ईद उल-फितर 624 ईस्वी में मनाई गई थी. इस दिन मीठे पकवान बनाए और खाए जाते हैं. अपने से छोटों को ईदी दी जाती है. दान देकर अल्लाह को याद किया जाता है. इस दान को इस्लाम में फितरा कहते हैं. इसीलिए भी इस ईद को ईद उल-फितर कहा जाता है. इस ईद में सभी आपस में गले मिलकर अल्लाह से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं.
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ईद का अर्थ है जश्न मनाना. इस्लाम धर्म में साल में दो बाद ईद मनाई जाती है. पहली मीठी ईद जिसे ईद उल-फितर कहा जाता है और दूसरी बकरी ईद को ईद उल-जुहा कहा जाता है. रमज़ान के महीने में 30 दिन के रोज़े के बाद जो ईद होती है उसे ईद-उल-फितर कहते हैं. इसे मीठी ईद भी कहा जाता है. वहीं, बकरी ईद को कुर्रबानी की ईद माना जाता है. बकरी ईद को रमज़ान खत्म होने के 70वें दिन मनाया जाता है.
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ईद उल-फितर क्यों मनाई जाती है?
मान्यता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय हासिल की थी, इसी खुशी में ईद उल-फितर मनाई जाती है. माना जाता है कि पहली बार ईद उल-फितर 624 ईस्वी में मनाई गई थी. इस दिन मीठे पकवान बनाए और खाए जाते हैं. अपने से छोटों को ईदी दी जाती है. दान देकर अल्लाह को याद किया जाता है. इस दान को इस्लाम में फितरा कहते हैं. इसीलिए भी इस ईद को ईद उल-फितर कहा जाता है. इस ईद में सभी आपस में गले मिलकर अल्लाह से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं.
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