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धराली का कल्प केदार मंदिर 1945 में म‍िला था खुदाई में, महाभारत युग से जुड़ी है आस्‍था

धराली में अचानक आई बाढ़ के कारण भारी तबाही हुई है. यहां स्थित प्राचीन कल्प केदार मंदिर भी मलबे में दब गया है. महाभारत काल के इस मंदिर का केदारनाथ धाम से हैं खास संबंध.

धराली का कल्प केदार मंदिर 1945 में म‍िला था खुदाई में, महाभारत युग से जुड़ी है आस्‍था
खीर गंगा का पानी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग पर हर समय गिरता रहता था.

Dharali's Flash Flood: उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में भारी तबाही हुई है. बादल फटने और ग्लेशियर के पिघलने के कारण अचानक आई बाढ़ (Dharali's flash flood) में 4 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है. धारली में खीर गंगा नदी में अचानक पानी का लेवल इतना अधिक बढ़ गया कि उसके किनारे बसा धराली गांव तबाह हो गया. पूरा गांव मलबे में दब गया. यहां का प्रसिद्ध कल्प केदार मंदिर (Kalp Kedar Temple) भी प्रभावित हुआ है. कल्प केदार मंदिर का केदारनाथ धाम से खास संबंध है. खीर गंगा नदी हर समय इस मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करती रहती थीं. आइए जानते हैं धराली गांव के कल्प केदार मंदिर का केदारनाथ धाम से क्या संबंध है (Relation of Kalp Kedar Temple to Kedarnath Dham)

धराली गांव का कल्प केदार मंदिर (Kalp Kedar Temple in Dharali)

कल्प केदार मंदिर धराली गांव में है. धारली उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर गंगोत्री हाईवे पर बसा है. धराली का कल्प केदार मंदिर काफी प्राचीन है. कल्प केदार मंदिर के आसपास पाए गए अवशेष 17वीं सदी के हैं और यह मंदिर पुरातत्व विभाग की सूची में शामिल किया गया है. यह मंदिर जमीन की सतह से नीचे है. भक्तों को पूजा के लिए नीचे जाना पड़ता था. खीर गंगा का पानी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग पर हर समय गिरता रहता था. ऐसा माना जाता है कि खीर गंगा नदी भगवान शिव का जलाभिषेक करती हैं. खीर गंगा के जल को आने के लिए एक रास्ता भी बनाया गया था. यह शिव मंदिर कई सालों तक जमीन के नीचे ही दबा था. हो सकता है कि पहले आई आपदाओं में यह मंदिर मलबे में दब गया हो. वर्ष 1945 में यहां खुदाई की गई और तब कई फीट नीचे दबा यह प्राचीन शिव मंदिर मिला.

जमीन में है मंदिर का आधा हिस्सा (Half of the temple is buried underground)

धराली के कल्प केदार मंदिर का आधा हिस्सा जमीन में ही था. इस मंदिर में भगवान शिव की सफेद रंग की मूर्ति है, उनके आसपास नंदी, शेर, शिवलिंग भी हैं. माना जाता है कि यह महाभारत काल का शिव मंदिर है और उन 240 मंदिरों के समूह में शामिल था, जो प्राकृतिक आपदाओं से हुए भौगोलिक बदलाव में लुप्त हो गए.

केदारनाथ धाम और कल्प केदार मंदिर का एक जैसा शिल्प (Similar architecture of Kedarnath Dham and Kalp Kedarnath Temple)

धराली के कल्प केदार मंदिर की बनावट केदारनाथ धाम मंदिर के समान है. दोनों ही मंदिर कत्यूर शैली में बने हैं. यह एक प्राचीन वास्तुकला है और भारत के कुछ प्राचीन मंदिरों में यह शैली नजर आती है. कल्प केदार मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग का आकार नंदी की पीठ के जैसा का है. ऐसा ही शिवलिंग केदारनाथ मंदिर में भी है. मंदिर के बाहर के पत्थरों पर काफी आकर्षक नक्काशी है.

चार धाम यात्रा का पड़ाव (A stop on the Char Dham Yatra)

चार धाम यात्रा के दौरान धारली अहम पड़ाव के रूप में जाना जाता है. गंगोत्री जाने वाले भक्त धारली में रुकते और कल्प केदार मंदिर के दर्शन करते हैं. यहां से गंगोत्री की दूरी 11 किमी है. 

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