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This Article is From Nov 27, 2023

Dev Diwali 2023: कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्यों मनाते हैं देव दिवाली, जानिए इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा

Dev Diwali Date: दिवाली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली मनाई जाती है. इस दिन नदी स्नान और दीप दान का बहुत महत्व है.

Dev Diwali 2023: कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्यों मनाते हैं देव दिवाली, जानिए इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा
Dev Diwali Kab Hai: जानिए देव दिवाली से जुड़ी पौराणिक कथा

Dev Diwali 2023: कार्तिक अमावस्या को दिवाली मनाने के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली मनाई जाती है. इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शंकर (Lord Shiva) ने इसी दिन देवों से स्वर्ग छीन कर उन्हें स्वर्ग से बाहर कर देने वाले असुर त्रिपुरासुर का संहार किया था. देवी देवताओं ने भगवान शुकर को आभार जताने के लिए दीप जलाए थे. मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता काशी में दिवाली मनाते हैं इसलिए काशी में देव दिवाली बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन दीप दान (Deep Daan) और नदी स्नान का बहुत महत्व है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था और देवी लक्ष्मी तुलसी के रूप में प्रकट हुई थीं. आइए जानते हैं देव दिवाली से जुड़ी पौराणिक कथा और इस दिन क्या करना चाहिए.

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देव दिवाली से जुड़ी कथा | Dev Diwali Katha

त्रिपुरासुर नाम के असुर ने धरतीवासियों को त्रस्त कर रखा था. धरतीवासी देवताओं से रक्षा की गुहार लगा रहे थे. परेशान हो सभी देवी-देवता भगवान शंकर के पास पहुंचे. भगवान शंकर ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का संहार कर धरतीवासियों और देवी-देवताओं की रक्षा की थी. त्रिपुरासुर से छुटकारा मिलने के बाद देवी-देवताओं ने भगवान शंकर की नगरी काशी पहुंच कर वहां दीप जलाकर खुशियां मनाई और भगवान शंकर का आभार जताया. तब से कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन देव दिवाली मनाई जाने लगी.

देव दिवाली के दिन क्या करना चाहिए

देव दिवाली के दिन दीप दान और नदी स्नान (Snan) करना चाहिए. इस दिन दीप दान और नदी स्नान का बहुत अधिक महत्व है. दीप उन से और नदी स्नान से घर में सुख-समृद्धि आती है और यम, शनि और राहु-केतु का प्रभाव कम होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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