प्रतीकात्मक चित्र
गुवाहाटी:
गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम के हाजो में हयागरीब माधब मंदिर में बुलबुल पक्षी की पारपंरिक लड़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया। अवकाशकालीन पीठ की न्यायाधीश रूमी कुमारी फूकां ने वन्यजीवन संरक्षण कानून, 1972 और पशु क्रूरता रोकथाम कानून, 1960 के विभिन्न प्रावधानों पर विचार करने के बाद कल यह आदेश जारी किया।
न्यायाधीश ने 22 दिसंबर को पारित पिछले आदेश में संशोधन किया जहां कामरूप जिले में बुलबुल की लड़ाई पर लगाई गई रोक को स्थगित किया था। आवेदन भारतीय जीव कल्याण बोर्ड ने दायर किया था।
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पुजारी दुविधा में कैसे निभाएं धार्मिक परंपरा
इस आदेश पर हाजो तथा राज्य के अन्य भागों के मंदिरों के पुजारियों ने प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि पक्षियों की लड़ाई धार्मिक परंपरा का हिस्सा है जिसमें इसके साथ भगवान विष्णु को सम्मान दिया जाता है।
पुजारी इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि अदालत के आदेश के बाद वर्षों से चली आ रही धार्मिक परंपरा कैसे निभाई जाए।
न्यायाधीश ने 22 दिसंबर को पारित पिछले आदेश में संशोधन किया जहां कामरूप जिले में बुलबुल की लड़ाई पर लगाई गई रोक को स्थगित किया था। आवेदन भारतीय जीव कल्याण बोर्ड ने दायर किया था।
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इस आदेश पर हाजो तथा राज्य के अन्य भागों के मंदिरों के पुजारियों ने प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि पक्षियों की लड़ाई धार्मिक परंपरा का हिस्सा है जिसमें इसके साथ भगवान विष्णु को सम्मान दिया जाता है।
पुजारी इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि अदालत के आदेश के बाद वर्षों से चली आ रही धार्मिक परंपरा कैसे निभाई जाए।
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