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This Article is From Jul 02, 2023

Chaumasi Chaudas 2023: आंतरिक शुद्धि और चिंतन मनन के लिए होता है जैन समुदाय का वर्षावास, जानिए कब है चौमासी चौदस और क्या है इसका महत्व

साल 2023 में चौमासी चौदस 2 जुलाई रविवार के दिन से शुरू होगा. जैन समुदाय में इसे वर्षावास कहा जाता है. इस मौके पर मन की शांति और शुद्धि के लिए जनसमुदाय प्रार्थना करते हैं.

Chaumasi Chaudas 2023: आंतरिक शुद्धि और चिंतन मनन के लिए होता है जैन समुदाय का वर्षावास, जानिए कब है चौमासी चौदस और क्या है इसका महत्व
जैन समुदाय के लोग इस दौरान उत्सव, पूजापाठ व शुभ कार्यों से लेकर आध्यात्मिक विकास के लिए संत्संग में भाग लेते हैं.

Chaumasi Chaudas 2023: जैन समुदाय (Jain Community) में चौमासी चौदस (Chaumasi Chaudas) का विशेष महत्व होता है. चार माह चलने वाले इस पर्व की शुरुआत जून या जुलाई में आषाढ़ी पूर्णिमा से होती है और समाप्ति अक्टूबर या नवंबर में कार्तिक पूर्णिमा को होती है. इस बार चौमासी चौदस 2 जुलाई रविवार के दिन से शुरू होगा. जैन समुदाय में इसे वर्षावास ( Varsavas) भी कहा जाता है. इस चार माह में भगवान महावीर (Lord Mahavir) के दिए ज्ञान और उपदेशों का अभ्यास किया जाता है और जैन समुदाय के लोग अहिंसा के सिद्धांत का पालन करते हैं. इस अवधि में जैन  संत किसी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान पर वास करते हैं और अपना समय प्रार्थना, आध्यात्मिक विचार विवेचन जैसी धार्मिक गतिविधियों में समय व्यतीत करते हैं. जैन समुदाय के लोग इस दौरान उत्सव, पूजापाठ व शुभ कार्यों से लेकर आध्यात्मिक विकास के लिए संत्संग में भाग लेते हैं.

चौमासी चौदस का महत्व (Chaumasi Chaudas Importance)


चौमासी चौदस का का उदेश्य सभी लोगों को अपने आंतरिक और आध्यात्मिक विकास के लिए चिंतन मनन करने और आंतरिक सफाई पर ध्यान देना है. जैन समुदाय लोग आंतरिक सफाई के साथ साथ अपने घरों व दफ्तरों की भी साफ सफाई करते हैं. इस चार माह में दान पुण्य का विशेष महत्व होता है. इस समय जन कल्याण के लिए प्रार्थना आयोजित की जाती है.

चौमासी चौदस का व्रत (Chaumasi Chaudas Fast)


जैन समुदाय के बहुत से लोग चौमासी चौदस का व्रत भी रखते हैं. यह व्रत पर्व की शुरुआत आषाढ़ी पूर्णिमा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक चार माह चलता है. इस दौरान व्रती दिन में केवल एक बार भोजन ग्रहण करता है. जैन लोग इस अवधि में यात्रा पर नहीं जाते हैं. जैन संतों को आमंत्रित कर उनसे प्रवचन सुना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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