चैत्र नवरात्रि: चौथे दिन करें मां कूष्माण्डा की पूजा, पढ़ें इनके नाम की कहानी और मंत्र

चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं. यह 18 मार्च से 26 मार्च तक चलेंगे. इन पूरे नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होगी.

चैत्र नवरात्रि: चौथे दिन करें मां कूष्माण्डा की पूजा, पढ़ें इनके नाम की कहानी और मंत्र

नवरात्रि: चौथे दिन करें मां कूष्माण्डा की पूजा, जानें मंत्र

खास बातें

  • चैत्र नवरात्रि की 18 मार्च से शुरू
  • 26 मार्च को होगी नौवीं
  • चौथे दिन करें मां कूष्माण्डा की पूजा
नई दिल्ली:

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा होती है. मान्यता है कि मां कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं. इन माता की पूजा करने से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि ब्रह्मांड की रचना इसी देवी ने अपनी शक्तियों से की थी. कूष्माण्डा माता की आठ भुजाएं होती हैं. इसी वजह से इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है. इनके आठों हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा और जपमाला होती है. इनका वाहन सिंह है. 

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चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं. यह 18 मार्च से 26 मार्च तक चलेंगे. इन पूरे नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होगी. यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है, इसीलिए यह पूरे भारत वर्ष और कुछ जगह विदेशों में यह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. माता की पूजा के अलावा चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को राम जी के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. इसे राम नवमी भी बोलते हैं. चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इसी के साथ यह नवरात्रि वसंत के बाद गर्मियों की शुरुआत मानी जाती है. नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की गई. दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की, तीसरे दिन चंद्रघंटा माता को पूजा गया और आज चौथे दिन कूष्माण्डा माता को पूजा जाएगा. पांचवे दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री को पूजा जाता है. इसी के साथ नौवें दिन राम जी की पूजा भी करते हैं. 

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देवी कूष्माण्डा का मंत्र 
ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा को कुम्हड़ कहते हैं. इसी वजह से बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है. इस कारण से यह माता कूष्माण्डा माता कहलाती हैं. 

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।'


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इस मंत्र का अर्थ है: हे मां! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है. मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं। हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें.

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