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This Article is From Apr 03, 2017

नवरात्र के सातवें दिन की जाती है मां कालरात्रि की पूजा, जानें किस मंत्र से करें मां का खुश

नवरात्र के सातवें दिन की जाती है मां कालरात्रि की पूजा, जानें किस मंत्र से करें मां का खुश
नई दिल्‍ली: नवरात्र के सातवें दिन महाशक्ति मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से काल का नाश होता है. इसी वजह से मां के इस रूप को कालरात्रि कहा जाता है. असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था. इनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण इन्हें 'शुभंकारी' भी कहते हैं.

इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है. इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं. इसी कारण इनका एक नाम शुभंकारी भी है.

मां कालरात्रि का मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

मां कालरात्रि का रूप
देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है इनके बाल बिखरे हुए हैं और इनके गले में विधुत की माला है. इनके चार हाथ है जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तथा एक हाथ में लोहे कांटा धारण किया हुआ है. इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है. इनके तीन नेत्र है और इनके श्वास से अग्नि निकलती है. कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है.

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