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ब्रज की चौरासी कोस परिक्रमा आख़िर क्या है, कैसे पड़ा ये नाम और कब से हुई शुरु, जानिए यहां

माना जाता है कि एक बार मां यशोदा और नंद जी ने तीर्थ करने की इच्छा प्रकट की थी, जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने सारे तीर्थों को यहीं पर बुला लिया था. 

ब्रज की चौरासी कोस परिक्रमा आख़िर क्या है, कैसे पड़ा ये नाम और कब से हुई शुरु, जानिए यहां
आपको बता दें कि सामान्यत: परिक्रमा पैदल की जाती है लेकिन आप चाहें तो वाहन से भी कर सकते हैं. 

Braj chaurasi Kos Yatra 2025 : ब्रज नगरी वृंदावन के कण-कण में भगवान श्री कृष्ण बसे हुए हैं. यही कारण है यहां पर पूरे साल श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. यहां पर श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए न सिर्फ देश से बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं. यहां पर आने के बाद श्रीकृष्ण की 84 कोस की परिक्रमा करने का विशेष महत्व होता है. आखिर यह यात्रा क्या है कब से शुरु हुई आज के इस आर्टिकल में हम इसी के बारे में आपसे बात करेंगे. 

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क्या है ब्रज की 84 कोस परिक्रमा यात्रा - What is the 84 Kos Parikrama Yatra of Braj

  • ब्रज की 84 कोस परिक्रमा यात्रा बहुत पवित्र मानी जाती है. इसमें श्री कृष्ण से जुड़े स्थानों जिसमें सरोवर, वन, मंदिर, कुंड आदि का भ्रमण किया जाता है, जो लगभग 360 किलोमीटर में होती है.
  • पौराणिक मान्यता है कि 84 कोस की यात्रा करने से 84 लाख योनियों से छुटकारा मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. 
  • पुराणों के अनुसार धरती पर 66 अरब तीर्थ हैं, जो चतुर्मास में ब्रज में आकर निवास करते हैं.यही कारण है कि चातुर्मास में इस परिक्रमा का महत्व बढ़ जाता है. 
  • माना जाता है कि एक बार मां यशोदा और नंद जी ने तीर्थ करने की इच्छा प्रकट की थी, जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने सारे तीर्थों को यहीं पर बुला लिया था. 
  • आपको बता दें कि 84 कोस की यात्रा हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर सावन की पूर्णिमा तक चलती है. यह परिक्रमा जहां से शुरु होती है, वहीं पर समाप्त भी हो जाती है. 

कैसे करते हैं ब्रज की 84 कोस परिक्रमा यात्रा - How to do the 84 Kos Parikrama Yatra of Braj

  • 84 कोसी ब्रज परिक्रमा में 1100 सरोवरें, 36 वन-उपवन भी आते हैं.
  • इस दौरान भक्तों को यमुना नदी पार करनी होती है. 
  • आपको बता दें कि सामान्यत: परिक्रमा पैदल की जाती है लेकिन आप चाहें तो वाहन से भी कर सकते हैं. 
  • आपको बता दें कि इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य होता है. 
  • अहंकार, लोभ मोह, क्रोध इन चीजों से आपको बचना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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