विज्ञापन
This Article is From Aug 09, 2016

इस मंदिर में होती है व्हेल मछली की हड्डियों की पूजा, जानिए क्या है इससे जुड़ी किंवदंती

इस मंदिर में होती है व्हेल मछली की हड्डियों की पूजा, जानिए क्या है इससे जुड़ी किंवदंती
भारत के एक मंदिर में व्हेल मछली की हड्डियों की पूजा कोई पचास-सौ सालों से नहीं बल्कि तीन सौ वर्षों से हो रही है। यह मंदिर गुजरात में वलसाड तहसील के मगोद डुंगरी गांव में स्थापित है, जिसका निर्माण यहां के मछुआरा समुदाय द्वारा किया गया है।

यहां के मछुआरे समुद्र में मछलियां पकड़ने जाने से पहले मत्स्य माताजी के मंदिर के नाम से इस प्रसिद्ध मंदिर में माथा टेककर मत्स्य माताजी का आशीर्वाद लेते हैं, ताकि वे बिना किसी बाधा या परेशानी के अधिक-से-अधिक मछलियां पकड़ सकें।

जानिए क्या है इससे जुड़ी किंवदंती...
यहां प्रचलित एक किंवदंती के अनुसार यहां के एक निवासी प्रभु टंडेल को लगभग 300 साल पहले एक सपना आया था कि समुद्र तट पर एक विशाल मछली आई हुई है। उसने सपने में यह भी देखा था कि वह मछली एक देवी का रुप धारण तट पर पहुंचती है, परंतु वहां आने पर उनकी मृत्यु हो जाती है।

सुबह गांव वाले और टंडेल ने वहां जाकर देखा तो सच में वहां एक बड़ी मछली मरी पड़ी थी। उस मछली के विशाल आकार को देख गांव वाले हैरान हो गए, जो कि एक व्हेल मछली थी।

टंडेल ने जब अपने सपने की पूरी बात लोगों को बताई तो लोगों ने उसे देवी का अवतार मान लिया और वहां मत्स्य माता के नाम से एक मंदिर बनवाया गया।

कुछ लोगों ने किया था व्हेल की पूजा का विरोध...
यहां के लोग बताते हैं कि प्रभु टंडेल ने उस मंदिर के निर्माण से पूर्व व्हेल मछली को समुद्र के तट पर ही दबा दिया था। जब मंदिर निर्माण का कार्य पूरा हो गया तो उसने व्हेल की हड्डियों को वहां से निकालकर मंदिर में रख दिया गया।

लेकिन टंडेल की इस आस्था का कुछ लोगों ने विरोध किया, वे मछली की हड्डी की पूजा के विरुद्ध थे, इसलिए उन्होंने मंदिर से संबंधित किसी भी कार्य में हिस्सा नहीं लिया। कहते हैं उन लोगों, जिन्हें मत्स्य देवी पर विश्वास नहीं था, के इस व्यवहार के कारण केवल उन्हें नहीं बल्कि सब गांव वालों को गंभीर नतीजा भुगतना पड़ा।

गांव में भयंकर रोग फैल गया। तब टंडेल के कहे अनुसार लोगों ने मंदिर में जाकर मत्स्य देवी की प्रार्थना की, कि मां उन्हें क्षमा कर बीमारी से छुटकारा दिलाएं। कहते हैं, माता के चमत्कार से सारे रोगी चंगे हो गए। उसके पश्चात सभी गांव वालों ने मंदिर में रोज पूजा-अर्चना करनी शुरू कर दी।

लोगों की जुबान पर हैं चमत्कार के रोचक किस्से...
वलसाड के इस मत्स्य माताजी मंदिर से जुड़े कई रोचक किस्से यहां के लोग बताते हैं। कहते हैं माता का अनादर करने पर गांव में भयंकर रोग फैल गया था, लेकिन फिर क्षमा याचना करने पर माता के चमत्कार स्वरुप रोगी ठीक हो गए।

कथा-कहानी जो भी हो, आज भी टंडेल का परिवार के वंशज इस मंदिर की देखरेख करते हैं। यहां हर वर्ष नवरात्रि की अष्टमी पर भव्य मेले का आयोजन होता है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com