इस साल 29 जनवरी को बसंत पंचमी (Basant Panchami 2020) मनाई जा रही है. उत्तर भारत के कई राज्यों में बसंत पंचमी को श्री पंचमी (Shri Panchami), वसंत पंचमी (Vasant Panchami) और सरस्वती पंचमी (Saraswati Panchami) के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था और इस वजह से इस दिन उनकी पूजा की जाती है. सरस्वती को ज्ञान, कला और संगीत की देवी माना जाता है. बसंत पंचमी पर पीले रंग (Importance of Yellow Color) का विषेश महत्व माना जाता है. यहां तक कि स्कूलों, शिक्षण संस्थानों और मंदिरों में भी मां सरस्वती की प्रतिमा को पीले रंग के वस्त्रों और आभूषणों से सजाया जाता है.
मां सरस्वती की आराधना करने वाले भक्त भी बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं. बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन पीला रंग पहनना शुभ माना जाता है. इसके पीछे दो कारण महत्वपूर्ण माने जाते हैं. पहला बसंत को ऋतुओं का माना जाता है. बसंत पंचमी के दिन से कड़कड़ाती ठंड खत्म होकर मौसम सुहावना होने लगता है. हर तरफ पेड़-पौधों पर नई पत्तियां, फूल-कलियां खिलने लग जाती हैं. गांव में इस मौसम में सरसों की फसल की वजह से धरती पीली नज़र आती है. इस पीली धरती को ध्यान में रख लोग बसंत पंचमी का स्वागत पीले कपड़े पहनकर करते हैं.
वहीं, दूसरी मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी के दिन सूर्य उत्तरायण होता है. जिसकी पीली किरणें इस बात का प्रतीक है कि सूर्य की तरह गंभीर और प्रखर बनना चाहिए.
इन्हीं दो वजहों से बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का खास महत्व रहता है. इतना ही नहीं बसंत पंचमी के दिन पीला प्रसाद और खाना भी पीले रंग का ही बनता है.
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