बकरीद मुसलमानों का दूसरा प्रमुख त्योहार है. इसे ईद-उल-ज़ुहा के नाम से भी जाना जाता है. यह रमजान महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों के बाद मनाया जाता है. इस त्योहार को मनाने की खास वजह है लोगों में अल्लाह की सेवा के साथ इंसान की सेवा के भाव को जगाना.
क्या है ईद-उल-ज़ुहा की कहानी
कुरआन के अनुसार एक दिन अल्लाह त’आला ने हज़रत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे अजीज चीज की कुरबानी मांगी. हज़रत इब्राहिम साहेब को अपना बेटा सबसे अजीज था. सो उन्होंने अपने बेटे की ही कुरबानी देने को ठान ली.
लेकिन जैसे ही कुरबानी देने के समय हज़रत इब्राहिम ने अपने बेटे की गर्दन पर वार किया, सबको मुहाफिज रखने वाले अल्लाह ने चाकू की तेज धार से हज़रत इब्राहिम के बेटे को बचाकर एक भेड़ की कुर्बानी दिलवा दी. बस तभी से ईद-उल-ज़ुहा मनाया जाने लगा.
हदीस के अनुसार बकरीद पर अल्लाह को कुर्बानी देना शबाब का काम माना गया है. इसलिए इस दिन हर कोई अपनी हैसियत, देश के रिवाज और जरुरत के हिसाब से भेंड़, ऊंट या बकरे की कुर्बानी देता है.
इस्लाम के पांच फर्ज माने गए हैं, हज उनमें से आखिरी फर्ज माना जाता है. मुसलमानों के लिए जिंदगी में एक बार हज करना जरूरी है. इसलिए हज होने की खुशी में भी ईद-उल-जुहा का त्योहार मनाया जाता है.
क्या है ईद-उल-ज़ुहा की कहानी
कुरआन के अनुसार एक दिन अल्लाह त’आला ने हज़रत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे अजीज चीज की कुरबानी मांगी. हज़रत इब्राहिम साहेब को अपना बेटा सबसे अजीज था. सो उन्होंने अपने बेटे की ही कुरबानी देने को ठान ली.
लेकिन जैसे ही कुरबानी देने के समय हज़रत इब्राहिम ने अपने बेटे की गर्दन पर वार किया, सबको मुहाफिज रखने वाले अल्लाह ने चाकू की तेज धार से हज़रत इब्राहिम के बेटे को बचाकर एक भेड़ की कुर्बानी दिलवा दी. बस तभी से ईद-उल-ज़ुहा मनाया जाने लगा.
मरने से पहले लक्ष्मण को जीवन की 3 सबसे बड़ी सीख दे गया था रावण...
हेल्दी और टेस्टी ट्रेडिशन: इस नवरात्रि इन लज़ीज फलाहार का उठाएं लुत्फ
Navratri 2017 : नवरात्रि के सातवें दिन होती है शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि की उपासना
कुर्बानी और फर्ज का त्योहारहेल्दी और टेस्टी ट्रेडिशन: इस नवरात्रि इन लज़ीज फलाहार का उठाएं लुत्फ
Navratri 2017 : नवरात्रि के सातवें दिन होती है शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि की उपासना
हदीस के अनुसार बकरीद पर अल्लाह को कुर्बानी देना शबाब का काम माना गया है. इसलिए इस दिन हर कोई अपनी हैसियत, देश के रिवाज और जरुरत के हिसाब से भेंड़, ऊंट या बकरे की कुर्बानी देता है.
इस्लाम के पांच फर्ज माने गए हैं, हज उनमें से आखिरी फर्ज माना जाता है. मुसलमानों के लिए जिंदगी में एक बार हज करना जरूरी है. इसलिए हज होने की खुशी में भी ईद-उल-जुहा का त्योहार मनाया जाता है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं