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This Article is From Aug 12, 2019

Bakrid 2019: आज है बकरीद, जानिए इस दिन क्‍यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी?

Eid ul Adha: बकरीद (Bakrid) का दिन फर्ज-ए-कुर्बान का दिन होता है.  इस्लाम में गरीबों और मजलूमों का खास ध्यान रखने की परंपरा है. इसी वजह से बकरीद पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं.

Bakrid 2019: आज है बकरीद, जानिए इस दिन क्‍यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी?
Eid ul Adha: बकरीद इस्‍लाम धर्म का प्रमुख त्‍योहार है
नई दिल्‍ली:

Baqreed: बकरा ईद (Bakra Eid), बकरीद (Bakrid), ईद-उल-अजहा (Eid Al Adha) या ईद-उल जुहा (Eid Ul Adha) भारत में 12 अगस्‍त यानी कल मनाई जाएगी. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने धू-अल-हिज्जा की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है. यह तारीख रमजान के पवित्र महीने के खत्‍म होने के लगभग 70 दिनों के बाद आती है. बकरीद का त्‍योहार मुख्‍य रूप से कुर्बानी के पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बकरे की कुर्बानी देने दी जाती है. आपको बता दें कि इस्‍लाम धर्म में मीठी ईद के बाद बकरीद (Baqreed) सबसे प्रमुख त्‍योहार है.

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बकरीद का महत्‍व
बकरीद का दिन फर्ज-ए-कुर्बान का दिन होता है.  इस्लाम में गरीबों और मजलूमों का खास ध्यान रखने की परंपरा है. इसी वजह से बकरीद पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं. इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और शेष दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिए जाते हैं. ऐसा करके मुस्लिम इस बात का पैगाम देते हैं कि अपने दिल की करीबी चीज़ भी हम दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं.

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बकरीद क्‍यों मनाई जाती है?
इस्‍लाम को मानने वाले लोगों के लिए बकरीद का विशेष महत्‍व है. इस्‍लामिक मान्‍यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे. तब अल्लाह ने उनके नेक जज्‍बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवनदान दे दिया. यह पर्व इसी की याद में मनाया जाता है. इसके बाद अल्लाह के हुक्म पर इंसानों की नहीं जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू हो गया.

क्यों दी जाती है कुर्बानी?
हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिन्‍दा खड़ा हुआ देखा. बेदी पर कटा हुआ दुम्बा (सउदी में पाया जाने वाला भेंड़ जैसा जानवर) पड़ा हुआ था, तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा है.

VIDEO: बकरीद की कुर्बानी के लिए तैयार है 8 लाख का बकरा

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