Bakrid 2018: कौन थे हज़रत इब्राहिम साहेब
नई दिल्ली:
बकरीद (Bakrid) इस बार 22 अगस्त को मनाई जा रही है. इससे पहले ईद-उल-अजहा (Eid al-Adha) की तारिख को लेकर पसोपेश बना हुआ था. पहले बकरीद (Bakrid) 23 अगस्त को बताई गई लेकिन बाद में चांदनी चौक के फतेहपुरी मजिस्द के शाही इमाम मौलाना मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने बताया कि 12 अगस्त को दिल्ली के आसमान में बादल छाए रहने की वजह से चांद नहीं दिखा था. 15 अगस्त को फतेहपुरी कदीम-रूयत-ए-हिलाल कमेटी की फिर बैठक हुई, जिसमें देश के अन्य हिस्सों में चांद दिखने के बारे में कई गवाही आईं. इसके बाद ईद-उल-अजहा या जुहा (Eid ul Adha) की तारीख पर सहमति बनी.
Bakrid 2018: बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी क्यों दी जाती है?
बकरीद के दिन मुस्लिमों के घर बकरे की बलि देकर उसे हिस्सों में बाटकर दान करने की प्रथा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर इस्लाम धर्म में क्यों बकरों की बलि दी जाती है और हज (Hajj) के दौरान रमीजमारात पर मौजूद खंभों पर क्यों मारे जाते हैं पत्थर? साथ ही जानिए क्यों इस पत्थर मारने की रस्म के बिना अधूरी मानी जाती है हज यात्रा (Hajj)?
Bakrid 2018: 23 नहीं 22 अगस्त को मनाई जाएगी बकरीद, जानिए पहली बार क्यों हुई ऐसी गलती
यहां जानिए कौन थे हज़रत इब्राहिम साहेब (Hazrat Ibrahim)?
कुरान (Quran) में 'सूरह इब्राहीम' (Surah Ibrahim) नाम से एक सूरा मौजूद है. इसमें इस्लाम धर्म के बेहद ही प्रमुख पैगम्बर हजरत इब्राहिम के बारे में लिखा गया है. ये वही पैगम्बर हैं जिनकी कुर्बानी को याद कर बकरीद पर बकरों की बलि दी जाती है.
Eid Ul Adha Mubarak 2018: बकरीद के लिए सबसे आसान और खूबसूरत मेहंदी डिज़ाइन्स
बकरीद की कहानी
दरअसल अल्लाह ने पैगम्बर हजरत इब्राहिम से उनकी सबसे प्यारी चीज़ की कुर्बानी मांगी. हजरत इब्राहिम को सबसे ज़्यादा प्यार अपने एकलौती औलाद इस्माइल से था. ये औलाद काफी बुढ़ापे में पैदा हुई थी. लेकिन अल्लाह का हुक्म मानकर वह अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए. हजरत इब्राहिम जब अपने बेटे को लेकर कुर्बानी देने जा रहे थे तभी रास्ते में शैतान मिला और उसने कहा कि वह इस उम्र में क्यों अपने बेटे की कुर्बानी दे रहे हैं. उसके मरने के बाद बुढ़ापे में कौन उनकी देखभाल करेगा. हज़रत इब्राहिम ये बात सुनकर सोच में पड़ गए और उनका कुर्बानी देने का मन हटने लगा. लेकिन कुछ देर बाद वह संभले और कुर्बानी के लिए तैयार हो गए. हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली.
इन 3 नियमों को पालन ना करने पर पूरी नहीं होती जुमे की नमाज
अल्लाह ने बेटे की जगह रख दिया 'बकर'
हज़रत इब्राहिम ने आंखों पर पट्टी बांधकर बेटे की कुर्बानी दी, लेकिन कुर्बानी के बाद जैसे ही पट्टी हटाई तो अपने बेटे को सामने जिन्दा खड़ा पाया. क्योंकि अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम के बेटे की जगह 'बकर' यानी बकरे को खड़ा कर दिया था. इसी वजह से बकरीद मनाई जाता है, बकरों और मेमनों की बलि दी जाती है.
Bakrid 2018: अपने करीबियों को बकरीद पर इन 10 मैसेज के जरिए कहें, 'ईद मुबारक'
शैतान को पत्थर मारने की रस्म
जो शैतान पैगम्बर हजरत इब्राहिम को अल्लाह के हुक्म को मानने से भटका रहा था. इसी को हज के तीसरे दिन बकरीद के बाद रमीजमारात पर पत्थर मारते हैं. रमीजमारात एक ऐसी जगह है जहां तीन बड़े खम्भे हैं. इन्हीं खंभों को लोग शैतान मानते हैं और उस पर कंकरी फेंकते हैं और इस रस्म के साथ ही हज पूरा हो जाता है.
आखिर चांद देखकर ही क्यों मनाते हैं ईद, जानिए क्या है दोनों के बीच का संबंध...
Bakrid 2018: बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी क्यों दी जाती है?
बकरीद के दिन मुस्लिमों के घर बकरे की बलि देकर उसे हिस्सों में बाटकर दान करने की प्रथा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर इस्लाम धर्म में क्यों बकरों की बलि दी जाती है और हज (Hajj) के दौरान रमीजमारात पर मौजूद खंभों पर क्यों मारे जाते हैं पत्थर? साथ ही जानिए क्यों इस पत्थर मारने की रस्म के बिना अधूरी मानी जाती है हज यात्रा (Hajj)?
Bakrid 2018: 23 नहीं 22 अगस्त को मनाई जाएगी बकरीद, जानिए पहली बार क्यों हुई ऐसी गलती
यहां जानिए कौन थे हज़रत इब्राहिम साहेब (Hazrat Ibrahim)?
कुरान (Quran) में 'सूरह इब्राहीम' (Surah Ibrahim) नाम से एक सूरा मौजूद है. इसमें इस्लाम धर्म के बेहद ही प्रमुख पैगम्बर हजरत इब्राहिम के बारे में लिखा गया है. ये वही पैगम्बर हैं जिनकी कुर्बानी को याद कर बकरीद पर बकरों की बलि दी जाती है.
Eid Ul Adha Mubarak 2018: बकरीद के लिए सबसे आसान और खूबसूरत मेहंदी डिज़ाइन्स
बकरीद की कहानी
दरअसल अल्लाह ने पैगम्बर हजरत इब्राहिम से उनकी सबसे प्यारी चीज़ की कुर्बानी मांगी. हजरत इब्राहिम को सबसे ज़्यादा प्यार अपने एकलौती औलाद इस्माइल से था. ये औलाद काफी बुढ़ापे में पैदा हुई थी. लेकिन अल्लाह का हुक्म मानकर वह अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए. हजरत इब्राहिम जब अपने बेटे को लेकर कुर्बानी देने जा रहे थे तभी रास्ते में शैतान मिला और उसने कहा कि वह इस उम्र में क्यों अपने बेटे की कुर्बानी दे रहे हैं. उसके मरने के बाद बुढ़ापे में कौन उनकी देखभाल करेगा. हज़रत इब्राहिम ये बात सुनकर सोच में पड़ गए और उनका कुर्बानी देने का मन हटने लगा. लेकिन कुछ देर बाद वह संभले और कुर्बानी के लिए तैयार हो गए. हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली.
इन 3 नियमों को पालन ना करने पर पूरी नहीं होती जुमे की नमाज
अल्लाह ने बेटे की जगह रख दिया 'बकर'
हज़रत इब्राहिम ने आंखों पर पट्टी बांधकर बेटे की कुर्बानी दी, लेकिन कुर्बानी के बाद जैसे ही पट्टी हटाई तो अपने बेटे को सामने जिन्दा खड़ा पाया. क्योंकि अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम के बेटे की जगह 'बकर' यानी बकरे को खड़ा कर दिया था. इसी वजह से बकरीद मनाई जाता है, बकरों और मेमनों की बलि दी जाती है.
Bakrid 2018: अपने करीबियों को बकरीद पर इन 10 मैसेज के जरिए कहें, 'ईद मुबारक'
शैतान को पत्थर मारने की रस्म
जो शैतान पैगम्बर हजरत इब्राहिम को अल्लाह के हुक्म को मानने से भटका रहा था. इसी को हज के तीसरे दिन बकरीद के बाद रमीजमारात पर पत्थर मारते हैं. रमीजमारात एक ऐसी जगह है जहां तीन बड़े खम्भे हैं. इन्हीं खंभों को लोग शैतान मानते हैं और उस पर कंकरी फेंकते हैं और इस रस्म के साथ ही हज पूरा हो जाता है.
आखिर चांद देखकर ही क्यों मनाते हैं ईद, जानिए क्या है दोनों के बीच का संबंध...
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं