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कल रखा जाएगा बहुला चतुर्थी का व्रत, जानें इसका गाय की पूजा से क्या है कनेक्शन?

Bahula Chauth 2025: कान्हा के जन्मोत्सव से चार दिन पहले आखिर बहुला चौथ का व्रत किस कामना के लिए रखा जाता है? यह व्रत इस साल कब पड़ेगा? क्या है बहुला चौथ व्रत की पूजा विधि और कथा? विस्तार से जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

कल रखा जाएगा बहुला चतुर्थी का व्रत, जानें इसका गाय की पूजा से क्या है कनेक्शन?
बहुला चौथ गाय की पूजा क्यों और कैसे की जाती है?

Bahula Chauth 2025: सनातन परंपरा में भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चतुर्थी या फिर कहें बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है. यह व्रत भगवान श्री कृष्ण की प्रिय बहुला गाय से जुड़ा हुआ है. इस दिन माताएं अपने संतान की रक्षा एवं सुख-समृद्धि की कामना रखते हुए विधि-विधान से व्रत रखती हैं. हिंदू धर्म में बहुता चतुर्थी व्रत की क्या मान्यता है और यह इस साल कब रखा जाएगा? बहुला चौथ व्रत की पूजा विधि और जरूरी नियम आदि के बारे में आइए विस्तार से जानते हैं. 

बहुला चतुर्थी व्रत के नियम 

हिंदू मान्यता के अनुसार चूंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण और गोमाता की विशेष पूजा की जाती है, इसलिए इस दिन गाय के दूध पर पूरा अधिकार बछड़े को दिया जाता है. साथ ही साथ इस दिन गाय के दूध से बने किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं किया जाता है. 

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कैसे करें बहुला चतुर्थी की पूजा 

बहुला चौथ पर प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें. इसके बाद गोमाता और उसके बछले की पूजा करें तथा उसे हरा चारा खिलाएं. इसके बाद अपने पूजा घर में बछड़े को दूध पिलाती गोमाता के चित्र या मूर्ति की फल, फूल, धूप, दीप आदि के जरिए पूजा करें. बहुला चौथ पर गोमाता के सथ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना बिल्कुल न भूलें. बहुला चौथ की पूजा के दौरान इस व्रत की कथा कहें और आरती भी करें. अंत में व्रत का प्रसाद सभी को देने के बाद स्वयं भी ग्रहण करें. बहुला चौथ पर गोमाता को हरा चारा खिलाने और उनकी परिक्रमा करने का बहुत ज्यादा पुण्यफल माना गया है. 

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बहुला चौथ व्रत से जुड़ी कथा 

हिंदू मान्यता के अनुसार एक समय ब्रज में बहुला नाम की गाय थी. उस समय उस गाय की बहुत धार्मिक महत्ता हुआ ​करती थी. एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने उसकी परीक्षा लेने के लिए शेर का रूप धर लिया और जब वह जंगल में चरने गई तो उसे पकड़ लिया. शेर को देखते ही बहुला गाय ने बड़ी विनम्रता के साथ कहा कि के जंगल के राजा मुझे अभी छोड़ दीजिए क्योंकि मेरा एक छोटा सा बछड़ा है, जिसे मैं दूध पिलाने के लिए जा रही हैं. मैं जब उसे दूध पिला लूंगी तो स्वयं आपके पास आ जाउंगी फिर आप मुझे खा लेना. 

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इस पर उस शेर ने कहा मैं कैसे इस बात को मानूं कि तुम वापस लौट कर आओगी. हो सकता है कि तुम मृत्यु के भय से ऐसा बोल रही हो. इस पर बहुला गाय ने कहा कि मैं सत्य और धर्म को साक्षी मानकर आपको वादा करती हूं कि मैं बछ़ड़े को दूध पिलाकर वापस आ जाउंगी. इसके बाद सिंह ने उसकी बात पर विश्वास करके बहुला गाय को जाने दिया. बहुला भी अपने बछड़े को दूध पिलाने के बाद वापस उस शेर के पास लौट आई.

बहुला ने जैसे ही अपने आपको शेर के सामने प्रस्तुत किया, उसी पल भगवान श्रीकृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ गए और उन्होंने उसे बताया कि वे सिर्फ उसकी परीक्षा ले रहे थे, जिसमें वह पास हुई. भगवान श्रीकृष्ण ने बहुला गाय पर प्रसन्न होकर वरदान दिया कि कलयुग में उनकी पूजा होगी. गौरतलब है कि आज हर सनातनी परंपरा से जुड़े व्यक्ति के घर में गाय की पूजा होती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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