Ashadha Amavasya 2022: आषाढ़ मास की अमावस्या पर आज स्नान-दान किया जाएगा. वैसे तो आषाढ़ अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 जून को सुबह 5 बजकर 52 मिनट से हुई है. जिसका समापन 29 जून यानी आज 8 बजकर 21 मिनट पर होगा. लेकिन अमावस्या का स्नान और दान आज किया जाएगा. हिंदू धर्म में आषाढ़ मास की अमावस्या (Ashadha Amavasya) का बेहद खास धार्मिक महत्व है. मान्यता है कि इस दिन पितरों (Pitra) के निमित्त दान और श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा यह दिन पितृ दोष (Pitra Dosh) और कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) को दूर करने के लिए भी शुभ माना जाता है. इस अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन कुछ खास उपाय किए जाते हैं.
आषाढ़ अमावस्या पर किए जाते हैं ये खास उपाय | Ashadha Amavasya Upay
हलहारिणी अमावस्या यानी आषाढ़ अमावस्या के दिन व्रत, स्नान, दान और श्राद्ध का खास महत्व है. ऐसे में इस दिन सुबह स्नान करने के बाद जल में काला तिल मिलाकर पितरों के निमित्त तर्पण करना शुभ माना गया है.
आषाढ़ अमावस्या पर ब्राह्मणों को भोजन कराना शुभ होता है. ब्रह्मण भोजन कराकर उन्हें दान-दक्षिणा दिया जाता है. इसके अलावा इस दिन गाय, कौआ, कुत्ता आदि को भोजन का कुछ अंश देना शुभ माना गया है. मान्यता है कि इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
आषाढ़ अमावस्या के दिन पीपल की पूजा का विधान है. इस दिन पीपल की पूजा के बाद उसके नीचे दीपक जलाया जाता है. मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में देवी-देवताओं का वास होता है.
आषाढ़ अमावस्या के दिन दीप दान का विशेष महत्व है. इसलिए इस दिन दीप दान करने की परंपरा है. इसके साथ ही इस दिन तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन दीप और फूल को पत्ते को कटोरे में रखकर जल में प्रवाहित किया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से संकट दूर हो जाते हैं.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक आषाढ़ अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी होती है. इसके अलावा इस दिन शनिदेव की पूजा और हनुमान जी की उपासना से भी विशेष फल प्राप्त होता है.
पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए किए जाते हैं ये उपाय Ashadha Amavasya Pitra Dosh Upay
अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है. मान्यता है कि इससे पितृ दोष दूर होते हैं. इस दिन पीपल के पेड़ पर 108 बार कलावा लपेटकर परिक्रमा की जाती है. इसके अलावा पीपल के नीचे घी का दीपक लगाने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान के बाद जल में काले तिल मिलाकर पितरों का तर्पण किया जाता है. दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके ऐसा करने से पितर संतुष्ट होते हैं.
आषाढ़ अमावस्या पर दान का खास महत्व है. स्नान और पूजा के बाद पितरों का ध्यान करते हुए गरीबों को कपड़े और अन्न का दान करना शुभ होता है. इससे पितर खुश होते हैं और घर में खुशहाली आती है.
हलहारिणी अमावस्या पर पीपल, बड़, आंवले, नीम का पौधा लगाने की परंपरा है. मान्यता है कि नियमित रूप से इन पौधों को लगाने के बाद सेवा करने से पितर खुश होते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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