12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) मनाई जाएगी. इस दिन घर में रखे भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन (Ganesha Visarjan) किया जाता है. भक्त धूमधाम से ढोल-ताशे के साथ गणपति बप्पा (Ganesha Visarjan) को विदा देते हैं. कई भक्त अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखते हैं तो कई भंडारा करवाते हैं. मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. घर में खुशहाली आती है और सुख-शांति बनी रहती है. इसी वजह से हिंदू धर्म में गणपति बप्पा के इस पर्व की बहुत मान्यता है. आज यहां गणेश विसर्जन के खास मैसेजेस दिए जा रहे हैं, जिन्हें आप सभी को भेज अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
12 सितंबर को है अनंत चतुर्दशी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व
गणेश की ज्योति से नूर मिलता है
सबके दिलों को सुरूर मिलता है
जो भी जाता है गणेश के द्वार
कुछ न कुछ उन्हें जरूर मिलता है
Ganpati Bappa Morya..
Ganpati Visarjan: गणेश विसर्जन करने की पूरी प्रक्रिया जानिए यहां
सब शुभ कारज में पहले पूजा तेरी
तुम बिना काम ना सरे, अरज सुन मेरी
रिध सिध को लेकर करो भवन में फेरी
करो ऐसी कृपा नित करूं मैं पूजा तेरी
गणेश चतुर्थी की शुभ कामनाएं!
गणेश जी का रूप निराला है
चेहरा भी कितना भोला भाला है
जिसे भी आती है कोई मुसीबत
उसे इन्ही ने तोह संभाला है
हैपी गणेश चतुर्थी 2019
आते बड़े धूम धाम से गणपति जी
जाते बड़े धूम धाम से गणपति जी
आखिर सबसे पहले आकर
हमारे दिलों में बस जाते गणपति जी
गणपति बाबा मोरिया, मंगल मूर्ति मोरया
आपका सुख गणेश के पेट जितना बड़ा हो
आपका दुःख उंदर जैसा छोटा हो
आपकी लाइफ गणेश जी की सूंड जितनी बड़ी हो
आपके बोल मोदक जैसे मीठे हो
Ganpati Bappa Morya..
भक्ति गणपति। शक्ति गणपति।
सिद्दी गणपति, लक्ष्मी गणपति
महा गणपति, देवो में श्रेष्ठ मेरे गणपति
हैपी गणेश चतुर्थी
पग में फूल खिले
हर खुशी आपको मिले
कभी न हो दुखों का सामना
यही मेरी गणेश चतुर्थी की शुभकामना
दिल से जो भी मांगोगे मिलेगा
ये गणेश जी का दरबार है
देवों के देव वक्रतुंडा महाकाया को
अपने हर भक्त से प्यार है...
गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं
आपका और खुशियों का
जनम-जनम का साथ हो
आपकी तरक्की की
हर किसी की ज़बान पर बात हो
जब भी कोई मुश्किल आए
माय फ्रेंड गणेशा आप के साथ हो
ये धर्म और विश्वास की बात है
कि हम गणेश जी को आकार देते हैं
लेकिन ऊपर वाला तो निराकार है
और सब जगह व्याप्त है
लेकिन आकार को समाप्त होना पड़ता है
इसलिए 'विसर्जन' करना पड़ता हैं
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