आनंदपुर साहिब में होला मोहल्ला (फोटो साभार: esamskriti.com)
आनंदपुर साहिब:
सिखों के त्योहार 'होला मोहल्ला' में भाग लेने के लिए हजारों श्रद्धालु बुधवार को इस पवित्र सिख नगर में एकत्रित हुए। प्रमुख धर्मस्थल तख्त केशगढ़ साहिब के नजदीक पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का समुद्र उमड़ा दिखाई दिया।
अमृतसर में 'हरमंदर साहिब' (स्वर्ण मंदिर) के बाद दूसरे सबसे बड़े सिख धर्मस्थल के गढ़ इस पवित्र शहर की ओर जाने वाली सड़कों पर वाहनों की भीड़भाड़ लगी रही।
तीन दिवसीय होला मोहल्ला उत्सव हिंदुओं के त्योहार होली के समय ही होता है। इसी धर्मस्थल में सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ (सिख धर्म) की स्थापना की थी।
होता है युद्ध कला 'गतका' का प्रदर्शन
होला मोहल्ला उत्सव का आरंभ लगभग 1701 के आसपास हुआ था, जब गुरु गोबिंद सिंह अपनी सेना को युद्ध के लिए तैयार रखने के लिए उन्हें छद्म लड़ाई के लिए प्रेरित करते थे।
एक स्थानीय नागरिक अवतार सिंह ने बताया, "सैकड़ों निहंग सिख होला मोहल्ला उत्सव के लिए इस धार्मिक शहर में एकत्रित होते हैं और युद्ध कला 'गतका' के जरिए अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं।"
अमृतसर में 'हरमंदर साहिब' (स्वर्ण मंदिर) के बाद दूसरे सबसे बड़े सिख धर्मस्थल के गढ़ इस पवित्र शहर की ओर जाने वाली सड़कों पर वाहनों की भीड़भाड़ लगी रही।
तीन दिवसीय होला मोहल्ला उत्सव हिंदुओं के त्योहार होली के समय ही होता है। इसी धर्मस्थल में सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ (सिख धर्म) की स्थापना की थी।
होता है युद्ध कला 'गतका' का प्रदर्शन
होला मोहल्ला उत्सव का आरंभ लगभग 1701 के आसपास हुआ था, जब गुरु गोबिंद सिंह अपनी सेना को युद्ध के लिए तैयार रखने के लिए उन्हें छद्म लड़ाई के लिए प्रेरित करते थे।
एक स्थानीय नागरिक अवतार सिंह ने बताया, "सैकड़ों निहंग सिख होला मोहल्ला उत्सव के लिए इस धार्मिक शहर में एकत्रित होते हैं और युद्ध कला 'गतका' के जरिए अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं।"
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