
Adi Shankaracharya Jayanti 2025 : हर साल शंकराचार्य जयंती वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. आपको बता दें कि आदि शंकराचार्य को भगवान शिव का अवतार माना जाता है. इसलिए इस तिथि पर भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा पाठ भी की जाती है. आदि शंकराचार्य हिंदू धर्म के महान प्रतिनिधियों में से एक हैं. इन्होंने भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए चार मठों की स्थापना की जिसमें पूर्व में गोवर्धन और जगन्नाथपुरी (उड़ीसा), पश्चिम में द्वारका शारदामठ (गुजरात), उत्तर में ज्योतिर्मठ बद्रीधाम (उत्तराखंड) और दक्षिण में शृंगेरी मठ, रामेश्वरम (तमिलनाडु) शामिल हैं.
शंकराचार्य ने इन चारों मठों में योग्य शिष्यों को मठाधीश बनाने की परंपरा की शुरुआत की, जिसके बाद से इन मठों के मठाधीश को शंकराचार्य की उपाधि दी जाती है.
कैसे बनते हैं शंकराचार्य
शंकराचार्य बनने के लिए आपको गृहस्थ जीवन को त्यागना होता है. शंकाराचार्य की उपाधि प्राप्त करने के लिए मुंडन, अपना पिंडदान और रुद्राक्ष धारण करना होता है. साथ ही 4 वेदों और 6 वेदांगों का ज्ञान होना चाहिए. ये सारी चीजें करने के बाद शंकराचार्यों के प्रमुखों, आचार्य महामंडलेश्वरों, प्रतिष्ठित संतों की सभा और काशी विद्वत परिषद की सहमति के बाद शंकराचार्य की उपाधि प्राप्त होती है.
आज के इस दिन आदि शंकाराचार्य के अनमोल विचारों का भी स्मरण करना जरूरी है...
- ब्रह्म सत्यं, जगन्मिथ्या
- अहं ब्रह्मास्मि
- ज्ञान ही मोक्ष का मार्ग है
- मन ही बंधन और मुक्ति का कारण है
- अपने कर्तव्यों का पालन ही धर्म है
- शरीर नश्वर है, आत्मा अमर है
- वैराग्य ही सच्चे ज्ञान की पहली सीढ़ी है
- ईश्वर सर्वत्र है, उसे बाहर मत खोजो, अपने भीतर देखो
- वैराग्य ही सच्चे ज्ञान की पहली सीढ़ी है
- ईश्वर सर्वत्र है, उसे बाहर मत खोजो, अपने भीतर देखो
- जो अपनी आत्मा को जान लेता है, वह सभी को जान लेता है
- मौन भी एक प्रकार की पूजा है
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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