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This Article is From May 10, 2022

Hanuman Aarti: मान्यतानुसार इस तरह की जाती है बजरंगबली की आरती, कहते हैं हर संकट होता है दूर

Hanuman Aarti: हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भक्त हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करते हैं. इसके अलावा कुछ लोग हनुमान जी की आरती भी करते हैं.

Hanuman Aarti: मान्यतानुसार इस तरह की जाती है बजरंगबली की आरती, कहते हैं हर संकट होता है दूर
Bajrangbali Aarti: मान्यता है हनुमानजी की आरती करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं.

Hanuman Aarti: मंगलवार का दिन श्रीराम भक्त हनुमान जी (Hanuman ji) की उपासना के लिए बेहद खास माना गया है. इस दिन हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भक्त हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) और सुंदरकांड का पाठ करते हैं. इसके अलावा कुछ लोग इस दिन मंगलवार का व्रत भी रखते हैं. मान्यता है कि इस दिन शाम के समय की गई हनुमानजी की पूजा बेहद फलदायी होती है. इसलिए हनुमानजी के भक्त शाम के समय मंदिर जाकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. कहा जाता है कि हनुमान जी की पूजा में आरती (Hanuman Aarti) का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं मंगलवार की शाम की जाने वाली हनुमानजी की आरती.

हनुमानजी की आरती | Hanuman Ji Ki Aarti

आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की

जाके बल से गिरिवर कांपे, रोग दोष जाके निकट न झांके

अंजनि पुत्र महा बलदाई, सन्तन के प्रभु सदा सहाई

दे बीरा रघुनाथ पठाए, लंका जारि सिया सुधि लाए

लंका सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई

लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज सवारे

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आनि संजीवन प्राण उबारे

पैठि पाताल तोरि जम-कारे, अहिरावण की भुजा उखारे

बाएं भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संतजन तारे

सुर नर मुनि आरती उतारें, जय जय जय हनुमान उचारें

कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करत अंजना माई

जो हनुमानजी की आरती गावे, बसि बैकुण्ठ परम पद पावे


हनुमान चालीसा पाठ की विधि (Hanuman Chalisa Path Vidhi) 

हिंदू धर्म शास्त्रों में हनुमान चालीसा के विषय में मान्यता है कि इसका विधिपूर्वक पाठ करने से लाभ मिलता है. अगर आप मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे पहले स्नान किया जाता है. उसके बाद साफ कपड़े पहनकर हनुमानजी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने साफ आसन पर बैठा जाता है. इससे बाद गंगाजल से शरीर शुद्ध किया जाता है. फिर हनुमानजी का स्मरण करके पाठ शुरू किया जाता है. पाठ की समाप्ति के बाद पात्र में रखे जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. फिर बचे हुए जल को घर के प्रत्येक कोने में छिड़काव किया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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