महाशिवरात्रि के दिन अनेक महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं.
नई दिल्ली:
महाशिवरात्रि भारत का एक सबसे प्रमुख पर्व है. भगवान शिव को समर्पित इस पर्व को हिन्दू बड़े धूमधाम और रीति-रिवाजों के साथ मनाते हैं. यह पर्व देवों के देव महादेव कहे जाने वाले शिव और आदिशक्ति स्वरूपा देवी पार्वती के शुभ-विवाह के अवसर पर मनाया जाता है. शिवरात्रि का यह महापर्व न केवल भारत बल्कि विदेशों, जैसी नेपाल, इंडोनेशिया, श्रीलंका, मारीशस, फिजी, गुयाना आदि देशों में भी मनाया जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल फाल्गुन मास में आता है, जो सामान्यतः अंग्रेजी महीने के फरवरी या मार्च में पड़ता है. इस पर्व से जुड़ी कुछ धार्मिक अनुष्ठान और परम्पराएं इस प्रकार हैं.
श्रद्धालु ऐसे करते हैं शिव-पूजा
श्रद्धालु इस दिन की शुरुआत गंगा-स्नान या अन्य पवित्र नदियों-सरोवरों आदि में स्नान करके करते हैं. उसके बाद विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करते हैं. शिवलिंग पर दूधाभिषेक, जलाभिषेक, शहदाभिषेक, बेल-पत्र, भांग, धतूरा, अकवन पुष्प और अन्य फूल सहित फल-मिष्टान्न चढ़ा कर मन्नतें मांगतें हैं.
प्रायः हर नगर में शिवविवाह की बारात निकाली जाती है, जिसमें बच्चे-बूढ़े-जवान सभी भाग लेते हैं. भक्तगण भांति-भांति के रूप, जैसे, भूत, पिशाच, नाग, बैल, राक्षस, देव, गन्धर्व आदि रूप धरकर शिव जयकारा लगाते हैं. इस दिन प्रायः सभी शिव मंदिरों में घड़ी-घड़ी ‘हर-हर महादेव’, ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘बम भोले’ की जयकारा लगाई जाती है और अखंड-ज्योत जलाई जाती है.
महाशिवरात्रि के दिन अनेक महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. वे सुबह जल्दी उठ कर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करती हैं और भक्ति-भाव से शिवलिंग पर जलाभिषेक करती हैं.
शिवलिंग को चन्दन, फल-फूल से सजाया जाता है और इस दिन दूध, बादाम और भांग मिलाकर खास ठंडाई बनाई जाती है, जिसे सब प्रसाद-स्वरुप पीते हैं और अपनी मनोकामना की पूरी होने की मन्नतें मांगते हैं.
और सबसे महत्वपूर्ण है, मध्यरात्रि को संपन्न किया जाने वाला शिव-पार्वती का विवाह. जिसके सारे अनुष्ठान वैदिक रीतियों से सम्पन्न करवाए जाते हैं. इसके साथ ही महाशिवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण भाग संपन्न होता है. इसकी अगली सबह व्रतधारी और उपवास करने वाले मंदिर में पुनः विधि-पूर्वक शिव पूजा करते हैं और पारायण (पारण) करते हैं.
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, इस दिन जो भी लोग इस पर्व को पूरी श्रद्धा से मनाते हैं और निष्ठापूर्वक अपने व्रत को पूरा करते हैं, उनकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं. कहते हैं महाशिवरात्रि व्रत करने से चारित्रिक दोष और बुरी आदतें, जैसे क्रोध, मद, लोभ, अहंकार, मिथ्याभिमान और दूसरों के प्रति गलत सोच आदि दूर हो जाती हैं.
श्रद्धालु ऐसे करते हैं शिव-पूजा
श्रद्धालु इस दिन की शुरुआत गंगा-स्नान या अन्य पवित्र नदियों-सरोवरों आदि में स्नान करके करते हैं. उसके बाद विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करते हैं. शिवलिंग पर दूधाभिषेक, जलाभिषेक, शहदाभिषेक, बेल-पत्र, भांग, धतूरा, अकवन पुष्प और अन्य फूल सहित फल-मिष्टान्न चढ़ा कर मन्नतें मांगतें हैं.
प्रायः हर नगर में शिवविवाह की बारात निकाली जाती है, जिसमें बच्चे-बूढ़े-जवान सभी भाग लेते हैं. भक्तगण भांति-भांति के रूप, जैसे, भूत, पिशाच, नाग, बैल, राक्षस, देव, गन्धर्व आदि रूप धरकर शिव जयकारा लगाते हैं. इस दिन प्रायः सभी शिव मंदिरों में घड़ी-घड़ी ‘हर-हर महादेव’, ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘बम भोले’ की जयकारा लगाई जाती है और अखंड-ज्योत जलाई जाती है.
महाशिवरात्रि के दिन अनेक महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. वे सुबह जल्दी उठ कर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करती हैं और भक्ति-भाव से शिवलिंग पर जलाभिषेक करती हैं.
शिवलिंग को चन्दन, फल-फूल से सजाया जाता है और इस दिन दूध, बादाम और भांग मिलाकर खास ठंडाई बनाई जाती है, जिसे सब प्रसाद-स्वरुप पीते हैं और अपनी मनोकामना की पूरी होने की मन्नतें मांगते हैं.
और सबसे महत्वपूर्ण है, मध्यरात्रि को संपन्न किया जाने वाला शिव-पार्वती का विवाह. जिसके सारे अनुष्ठान वैदिक रीतियों से सम्पन्न करवाए जाते हैं. इसके साथ ही महाशिवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण भाग संपन्न होता है. इसकी अगली सबह व्रतधारी और उपवास करने वाले मंदिर में पुनः विधि-पूर्वक शिव पूजा करते हैं और पारायण (पारण) करते हैं.
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, इस दिन जो भी लोग इस पर्व को पूरी श्रद्धा से मनाते हैं और निष्ठापूर्वक अपने व्रत को पूरा करते हैं, उनकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं. कहते हैं महाशिवरात्रि व्रत करने से चारित्रिक दोष और बुरी आदतें, जैसे क्रोध, मद, लोभ, अहंकार, मिथ्याभिमान और दूसरों के प्रति गलत सोच आदि दूर हो जाती हैं.
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