
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के निमंत्रण पर जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 16 जून को कनाडा पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 16 और 17 जून को कनाडा के कनानास्किस की यात्रा करेंगे. भारत जी-7 राष्ट्रों का स्थायी सदस्य नहीं है, फिर भी 2003 से लेकर अब तक इसे कई बार शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है. भारत, औपचारिक सदस्य न होने के बावजूद अतीत में एक विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में 'आउटरीच पार्टनर' के रूप में जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग ले चुका है.
जी7 क्या है और इसके सदस्य कौन हैं?
जी7 (ग्रुप ऑफ सेवन) दुनिया के सात सबसे उन्नत और औद्योगिक लोकतंत्रों का एक अनौपचारिक मंच है. इसके सदस्य देशों में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं. इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करना और नीतियों को समन्वयित करना है. जी7 दुनिया के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली देशों का एक समूह है. इसकी बैठकों में वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाती है और नीतियों को आकार दिया जाता है. जी7 की बैठकों में लिए गए निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं.
कब हुई थी शुरूआत और क्या है इतिहास
जी7 की शुरुआत 1975 में जी6 के रूप में हुई थी, जिसमें फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल थे. 1976 में कनाडा के सदस्य बनने के बाद यह जी7 बन गया. 1997 में रूस के शामिल होने के बाद यह जी8 बन गया, लेकिन 2014 में क्रीमिया पर कब्ज़ा करने के बाद रूस को निलंबित कर दिया गया और समूह फिर से जी7 बन गया.
इन मुद्दों पर होती है बात
शिखर सम्मेलन के हिस्से के रूप में, नेता अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य, संघर्ष और एआई जैसे मुद्दों पर बंद कमरे में चर्चा करते हैं। वे संयुक्त घोषणापत्रों पर बातचीत करते हैं, जिन्हें विज्ञप्ति के रूप में जाना जाता है, जो उनकी साझा प्रतिबद्धताओं का सारांश प्रस्तुत करते हैं।
कौन करता है जी-7 शिखर सम्मेलन की मेजबानी?
प्रत्येक वर्ष, एक सदस्य देश जी-7 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है, एजेंडा निर्धारित करता है और मेहमानों को आमंत्रित करता है, जिनमें भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल होते हैं.
भारत को जी-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रण
भारत को अब तक दस से ज़्यादा बार जी-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जा चुका है. भारत की जी-7 शिखर सम्मेलन में भागीदारी का इतिहास काफी पुराना है. भारत को पहला आमंत्रण 2003 में मिला था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी विशेष अतिथि के तौर पर फ्रांस में आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. 2005 से 2009 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हर साल इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेते रहे. इसके बाद भी भारत को कई बार जी-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 से हर साल जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेते रहे हैं. उनकी भागीदारी का विवरण इस प्रकार है:
- 2019: फ्रांस में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी को आमंत्रित किया गया था
- 2020: अमेरिका में आयोजित होने वाले जी7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी को आमंत्रित किया गया था, लेकिन शिखर सम्मेलन रद्द कर दिया गया था
- 2021: यूके में आयोजित वर्चुअल जी7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने भाग लिया
- 2022: जर्मनी में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी शामिल हुए
- 2023: जापान में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने भाग लिया
- 2025: कनाडा में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की भागीदारी हुई है, जहां वे ऊर्जा सुरक्षा, उभरती हुई प्रौद्योगिकियों और क्वांटम प्रौद्योगिकियों पर चर्चा में शामिल होंगे
भारत को क्यों आमंत्रित किया गया, जबकि वह स्थायी सदस्य नहीं है?
भारत एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी है और ग्लोबल साउथ में एक प्रमुख आवाज है. उसकी आर्थिक और राजनीतिक स्थिति उसे वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण भागीदार बनाती है. भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक प्रमुख स्तंभ है. उसकी आर्थिक स्थिरता और विकास वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. भारत महत्वपूर्ण खनिजों के उत्पादन और आपूर्ति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. साथ ही, वह जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी सक्रिय रूप से काम कर रहा है. भारत डिजिटल परिवर्तन में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उसकी तकनीकी प्रगति और डिजिटल पहल वैश्विक स्तर पर प्रभाव डाल रही हैं. जी7 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाले देश संतुलित वैश्विक समाधानों के लिए भारत का इनपुट चाहते हैं. भारत की भागीदारी से वैश्विक मुद्दों पर चर्चा और समाधान में मदद मिलती है. इन कारणों से भारत को जी7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जाता है, भले ही वह स्थायी सदस्य नहीं है.
भारत-कनाडा संबंधों के लिए यह कैसे महत्वपूर्ण है?
यह प्रधानमंत्री मोदी की कनाडा के प्रधानमंत्री कार्नी के साथ कनानास्किस में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान पहली मुलाकात होगी. विदेश मंत्रालय इस मुलाकात को भारत-कनाडा संबंधों को फिर से स्थापित करने के अवसर के रूप में देखता है, जो आपसी सम्मान, साझा हितों और एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति विचार पर आधारित हैं. उल्लेखनीय है कि यह एक दशक में प्रधानमंत्री मोदी की पहली कनाडा यात्रा होगी.
भारत-कनाडा संबंध तब तनावपूर्ण हो गए थे जब कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर 2023 में आरोप लगाया था कि खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट शामिल थे. भारत ने इस आरोप का पुरजोर खंडन करते हुए इसे “बेतुका” बताया और कनाडा पर भारतीय राजनयिकों को धमकाने वाले अलगाववादी और कट्टरपंथी तत्वों को पनाह देने का आरोप लगाया.
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