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Explainer: International Space Station से कैसे धरती पर लौटेंगे शुभांशु शुक्ला? जानें

धरती पर वापसी से पहले, ड्रैगन कैप्सूल को ISS से अलग किया जाएगा. ये प्रक्रिया कुछ मिनटों की होती है. हालांकि इसे लेकर तैयारी काफी पहले से होती है और कई लेवल पर होती है. इसे ऐसे समझिए कि धरती से अंतरिक्ष में जाने के लिए जो प्रिपेरेशंस होती है वही स्पेस स्टेशन से वापस आने के लिए करनी पड़ती है.

  • भारत के लाल शुभांशु शुक्ला का 14 दिन का अंतरिक्ष मिशन समाप्त होने वाला है और उनकी वापसी की प्रक्रिया शुरू होने वाली है
  • स्पेस स्टेशन से पृथ्वी पर लौटने के लिए ड्रैगन कैप्सूल को अनडॉकिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें कई सुरक्षा जांच शामिल होती हैं
  • शुभांशु और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए प्रयोगों के नमूने और उपकरण सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लाने के लिए विशेष जांच की जाती है
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नई दिल्ली:

अंतरिक्ष में भारत का कद बढ़ाने वाले भारत के लाल शुभांशु शुक्ला की वापसी की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. स्पेस में उनका 14 दिन का मिशन खत्म होने वाला है और कभी भी उनकी वापसी हो सकती है. कहा जा रहा है कि शुभांशु शुक्ला स्पेश स्टेशन से अपने साथ जो डेटा ला रहे हैं वो बेहद अहम होगा लेकिन ये भी सही है कि अंतरिक्ष से वापसी का सफर आसान नहीं रहता. कई पड़ाव से होकर गुजरना पड़ता है. 

अनडॉकिंग

धरती पर वापसी से पहले, ड्रैगन कैप्सूल को ISS से अलग किया जाएगा. ये प्रक्रिया कुछ मिनटों की होती है. हालांकि इसे लेकर तैयारी काफी पहले से होती है और कई लेवल पर होती है. इसे ऐसे समझिए कि धरती से अंतरिक्ष में जाने के लिए जो प्रिपेरेशंस होती है वही स्पेस स्टेशन से वापस आने के लिए करनी पड़ती है. इसमें स्पेस सूट पहनना, डिप्रेशराइजेशन चेक करना, कैप्सूल की सुरक्षा जांच, मिशन कंट्रोल से संपर्क, कार्गो डेटा ट्रांसफर जैसे स्टेप्स शामिल हैं.

इसका मतलब जो एक्सपेरिमेंट शुभांशु और उनके सहयोगियों ने स्पेस में किए हैं. उनके सैंपल्स को कार्गो की शक्ल में वापस लाना है. नमूनों के साथ उपकरण धरती पर लाए जाएंगे इसीलिए इन स्पेसिमेन की लोडिंग करने के लिए अच्छी तरह जांच की जाती है.

सिस्टम चेक 

अनडॉकिंग में सबसे अहम होता है कैप्सूल का सिस्टम चेक. आपको याद होगा सुनीता विलियम्स जब वापस आने वाली थीं तो उनके कैप्सूल में दिक्कत हो गई. इसी वजह से उनकी वापसी नौ महीने तक टली. यहां शुभांशु जिस स्पेस ड्रैगन कैप्सूल से वापस आ रहे हैं. मिशन कंट्रोल के जरिए उसके सारे सिस्टम लगातार मॉनिटर होते हैं. इसमें प्रोपल्जन, नेविगेशन, कम्युनिकेशन, लाइफ सपोर्ट सिस्टम की बारीकी से जांच होती है. 

ये सब पूरा होने के बाद स्पेस स्टेशन और उससे जु़ड़े कैप्सूल के सारे कनेक्शन, डीएक्टिवेट और डिसकनेक्ट कर दिए जाते हैं. अनडॉकिंग असल में यहीं से शुरू होती है.

मिशन कंट्रोल से अनुमति 

एक बार जब अनडॉकिंग से पहले की ये सारी तैयारियां पूरी हो जाती है. तब धरती पर मिशन कंट्रोल से detach होने की अनुमति मांगी जाती है. धरती पर houston और मॉस्को सेंटर से इसे मॉनिटर किया जाता है.

स्पेस स्टेशन और कैप्सूल को कनेक्ट करने वाला एक एयरलॉक होता है - जिसके जरिए अंतरिक्ष यात्री से कैप्सूल से स्टेशन के अंदर आराम से आ जा सकें. वापसी के दौरान इस एयरलॉक की हवा निकाली जाती है ताकि ये स्पेस जैसी कंडीशन बना सके. अनडॉकिंग के बाद कैप्सूल धीरे धीरे स्पेस स्टेशन से अलग होता है. इस दौरान दोनों के बीच किसी भी तरह के संपर्क से बचने के लिए ज्यादा सावधानी बरती जाती है. कैप्सूल स्पेस की तरफ बढ़ने लगता है.

रॉकेट इंजन ऑन

अब जैसे ही कैप्सूल स्पेस स्टेशन से अलग होकर थोड़ा दूर जाता है. रॉकेट के इंजन ऑन कर दिए जाते हैं, जो उसे एक सेफ जोन में ले जाते हैं और फिर वो स्पेस स्टेशन की कक्षा यानी ऑर्बिट से अलग होता है.

Free Flight

एक बार जब कैप्सूल ISS से पर्याप्त सुरक्षित दूरी पर आ जाता है, इसके बाद वो अपनी फ्री फ्लाइट यानी स्वतंत्र उड़ान जारी रखता है. तय शेड्यूल के मुताबिक अगर सबकुछ ठीक रहा और कोई डिले नहीं हुआ तो फिर गुरुवार के बाद शुभांशु शुक्ला की अनडॉकिंग प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और उनका कैप्सूल वातावरण में दाखिल होने की तैयारी कर रहा होगा. हम भी यही उम्मीद कर रहे हैं कि देश का लाल हिफाज़त से लौटे लेकिन एक अहम सवाल ये भी है कि शुभांशु ने 14 दिन स्पेस में रहने के बाद क्या हासिल किया. उनके वो एक्सपेरिमेंट्स कौन से थे जिनसे अंतरिक्ष में जीवन को नई दिशा मिल सकती है?

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