पिता मंगल सिंह के साथ बच्चियों की तस्वीर
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एनडीटीवी की खबर का असर
तीनों बहनों की आई विसरा रिपोर्ट
भुखमरी से ही हुई थी मौत
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बता दें, इन तीन-तीन बेटियों की दर्दनाक मौत की घटना झकझोर देने वाली थी. आठ साल की मानसी, चार साल की शिखा और दो साल की पारुल का शव मंडावली में एक कमरे से बरामद हुआ. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला था कि तीनों की मौत 25 जुलाई को तड़के हुई और मौत की वजह कुपोषण. बच्चियों के शव के पोस्टमार्टम में खाने का एक भी अंश नहीं मिला. डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें सात-आठ दिन से खाना नहीं मिला था.
बच्चियों की मां वीणा
इन बच्चियों की मां वीणा की हालत मानसिक रूप से ठीक नहीं है. उसके मुताबिक बच्चियों को कई दिन से उल्टियां आ रही थीं इसलिए खाना नहीं दिया. वीणा ने बताया कि उन्होंने (बच्चियों) कई दिन से खाना नहीं खाया था. उनको उल्टी और खांसी हो रही थी. बच्चियों के पिता मंगल सिंह बचपन में दिल्ली के होटलों में बर्तन धोते थे, फिर मजदूरी करने लगे. वे कुछ सालों से रिक्शा चला रहे थे. उनके दोस्त नारायण यादव के मुताबिक कुछ दिन पहले उनका रिक्शा चोरी हो गया तो उनके मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया, क्योंकि रिक्शा उसी का था. बीते शनिवार को नारायण ने अपने एक कमरे के घर में मंगल सिंह के परिवार को भी रख लिया.
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नारायण यादव ने बताया कि जब मंगल को घर से निकाल दिया तो बारिश हो रही थी. बारिश में बच्चे कीचड़ में पड़े होंगे तो हर किसी को दया आ जाती है, फिर ये तो मेरा दोस्त था, इसलिए मैं बच्चों को अपने घर ले आया. अपने परिवार को नारायण के यहां छोड़कर मंगल नए काम की तलाश में निकल गए और अब तक उनका पता नहीं है. इसी बीच तीनों बेटियों की मौत हो गई. पड़ोसियों के मुताबिक उन्हें अगर पता होता कि बच्चियों को खाना नहीं मिल रहा है तो वे जरूर खिलाते, लेकिन यह परिवार दो दिन पहले ही यहां आया था, इसलिए उन्हें परिवार के बारे में ज्यादा नहीं पता है.
दिल्ली के मंडावली में स्थित वह कमरा जिसमें बच्चियां भूख के कारण मर गईं
इस मामले में दिल्ली सरकार ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए थे. यह जानकारी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करके दी थी.
मंडावली में तीन बच्चियों की मौत की घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। यह परिवार दो दिन पहले ही मंडावली में एक मकान में रह रहे किराएदार के यहां मेहमान आया था।
— Manish Sisodia (@msisodia) July 25, 2018
घटना के पहले से ही बच्चियों के मजदूर पिता काम पर गए थे जो लौटे नहीं हैं। मां भी पहले से मानसिक बीमार हैं।
इस घटना को लेकर कई सामाजिक संगठन सरकार से बेहद नाराज दिखे. 'बचपन बचाओ आंदोलन' के निदेशक प्रोग्राम राकेश सेंगर ने कहा था कि ''यह घटना शर्मसार करने वाली है. संसद से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ऐसा हुआ. सरकार को शर्म आनी चाहिए. हर जिले में चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी होती है जो बच्चों की पढ़ाई, पोषण और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखती है. वो क्या कर रही है? यह घटना बेहद शर्मनाक है.''
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