नई दिल्ली:
पर्यावरण क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पिछले 17 वर्षों में सबसे खतरनाक धुंध छायी हुई है और दिल्ली सरकार को स्वास्थ्य चेतावनी जारी करके लोगों से बच्चों को घर के अंदर रखने के लिए कहना चाहिए. वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण स्वास्थ्य आपातकाल की जैसी स्थिति बनी हुई है.
दीवाली के चार दिन बार शहर की हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है. प्रदूषणकारी तत्वों पीएम 2.5 और पीएम 10 की अधिकता और नमी के साथ दिल्ली के ऊपर धुंध की चादर बनी हुई है. स्थानीय स्तर पर हवा नहीं चलने से भी दिक्कत बनी हुई है.
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की अगुवाई में दिल्ली सरकार के एक कार्यबल ने इस स्थिति से निबटने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक की. उन्होंने पंजाब और हरियाणा में फसलों की बची पराली को जलाने को प्रदूषण बढ़ने के प्रमुख कारक में गिनाया.
आर के पुरम जैसे स्थानों पर आज पीएम 2.5 और पीएम 10 का शीर्ष स्तर सुरक्षित सीमा से 15 गुना अधिक दर्ज किया गया. पीएम 2.5 का निर्दिष्ट सुरक्षित स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है लेकिन गुरुवार सुबह के समय यह 955 दर्ज किया गया.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे को पत्र लिखकर उनसे पड़ोसी राज्यों में फसलों के अवशेषों को जलाये जाने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का अनुरोध किया. शुक्रवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बुलाई गयी उच्चस्तरीय बैठक में दिल्ली सरकार इस मुद्दे को उठाएगी.
वायु गुणवत्ता मापन प्रणाली ‘सफर’ के सभी निगरानी केंद्रों में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में दर्ज की गयी है. धुंध के कारण महानगर में दृश्यता खराब रही और लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा. सीएसई ने दिल्ली सरकार से कहा कि ठंड के मौसम में प्रदूषण को नियंत्रण में लाने के लिए कड़े उपाय किए जाएं और लोगों के लिए स्वास्थ्य विमर्श जारी किया जाए.
सीएसई की अनुमिता रायचौधरी ने कहा, ‘इसमें कमजोर लोगों को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है - ऐसे लोग जो श्वसन और हृदय रोग से पीड़ित हैं और बच्चे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘सरकार को हर किसी को सूचित करना चाहिए और सलाह देना चाहिए कि घरों के अंदर रहें और बाहर व्यायाम नहीं करें.’ सीएसई ने कहा कि भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक पिछले 17 वर्षों में यह सबसे खतरनाक धुंध है और दो नवम्बर को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 17 वर्षों में सबसे खतरनाक स्तर पर धुंध रिकॉर्ड की गयी जहां दृश्यता 300 से 400 मीटर रही.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दीवाली के चार दिन बार शहर की हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है. प्रदूषणकारी तत्वों पीएम 2.5 और पीएम 10 की अधिकता और नमी के साथ दिल्ली के ऊपर धुंध की चादर बनी हुई है. स्थानीय स्तर पर हवा नहीं चलने से भी दिक्कत बनी हुई है.
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की अगुवाई में दिल्ली सरकार के एक कार्यबल ने इस स्थिति से निबटने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक की. उन्होंने पंजाब और हरियाणा में फसलों की बची पराली को जलाने को प्रदूषण बढ़ने के प्रमुख कारक में गिनाया.
आर के पुरम जैसे स्थानों पर आज पीएम 2.5 और पीएम 10 का शीर्ष स्तर सुरक्षित सीमा से 15 गुना अधिक दर्ज किया गया. पीएम 2.5 का निर्दिष्ट सुरक्षित स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है लेकिन गुरुवार सुबह के समय यह 955 दर्ज किया गया.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे को पत्र लिखकर उनसे पड़ोसी राज्यों में फसलों के अवशेषों को जलाये जाने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का अनुरोध किया. शुक्रवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बुलाई गयी उच्चस्तरीय बैठक में दिल्ली सरकार इस मुद्दे को उठाएगी.
वायु गुणवत्ता मापन प्रणाली ‘सफर’ के सभी निगरानी केंद्रों में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में दर्ज की गयी है. धुंध के कारण महानगर में दृश्यता खराब रही और लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा. सीएसई ने दिल्ली सरकार से कहा कि ठंड के मौसम में प्रदूषण को नियंत्रण में लाने के लिए कड़े उपाय किए जाएं और लोगों के लिए स्वास्थ्य विमर्श जारी किया जाए.
सीएसई की अनुमिता रायचौधरी ने कहा, ‘इसमें कमजोर लोगों को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है - ऐसे लोग जो श्वसन और हृदय रोग से पीड़ित हैं और बच्चे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘सरकार को हर किसी को सूचित करना चाहिए और सलाह देना चाहिए कि घरों के अंदर रहें और बाहर व्यायाम नहीं करें.’ सीएसई ने कहा कि भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक पिछले 17 वर्षों में यह सबसे खतरनाक धुंध है और दो नवम्बर को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 17 वर्षों में सबसे खतरनाक स्तर पर धुंध रिकॉर्ड की गयी जहां दृश्यता 300 से 400 मीटर रही.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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