फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत के मामले जिन 6 लोगों का पोस्टमॉर्टम हुआ हैं उनकी मौत का कारण हैंगिंग है. इसके अलावा चोट का कोई निशान नहीं है. सभी 11 मृतकों की आंखों को उनके रिश्तेदारों के कहने पर दान किया गया. अब पोस्टमॉर्टम के बाद सभी का अंतिम संस्कार एक साथ कश्मीरी गेट के पास निगमबोध घाट पर होगा, क्योंकि इतने शव एक साथ राजस्थान के पैतृक गांव ले जाना आसान नहीं है.
बुराड़ी के घर से मिले 11 शव: 2 रजिस्टरों में सामने आए 10 चौंकाने वाले खुलासे, समय और दिन पहले से था तय
पुलिस सूत्रों से कई जानकारियां मिली हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जहां 10 लोगों के शव लटके हुए मिले, उसके पास ही एक कमरे से 2 रजिस्टर बरामद हुए हैं, जिस तरह से मौत हुई है वही तरीका दोनों रजिस्टर में लिखा गया है जिसमें मुंह बांधने और हाथ बांधने का भी ज़िक्र है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दोनों रजिस्टर में मौत और मोक्ष को लेकर एक कहानीनुमा लंबा लेख है, जिसमें किसी आध्यात्मिक गुरु का नाम नहीं है. लेकिन मौत की क्रियाओं को लेकर एक बड़ा हिस्सा है. पुलिस ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि रजिस्टर में लिखी हैंड राइटिंग परिवार में से किस की है. क्राइम ब्रांच गुत्थी सुलझाने में जुटी हैैै..
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- सामूहिक आत्महत्या या हत्या?
- 11 लोगों की मौत की अनसुलझी गुत्थी
- दिल्ली में बुराड़ी के संतनगर की घटना
- घर के एक कमरे 2 रजिस्टर मिले
- रजिस्टर के नोट्स से तंत्र-मंत्र का संदेह
- तंत्र-मंत्र के ऐंगल की जांच होगी: पुलिस
- मौत और मोक्ष को लेकर लंबा लेख
- रजिस्टर में मौत के तरीक़े का भी ज़िक्र
- काफी पूजा-पाठ करने वाला परिवार
- क्राइम ब्रांच गुत्थी सुलझाने में जुटी
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पुलिस ने बताया कि 10 सदस्यों की आंखें और मुंह कपड़ों से बंधे हुए थे और उनके शव झूल रहे थे जबकि 77 साल की एक महिला फर्श पर मृत पाई गईं और उसकी आंखों और मुंह पर पट्टी नहीं बंधी थी. बच्चों के हाथ-पांव बंधे हुए थे. मकान की तलाशी के दौरान पुलिस को हाथ से लिखे कुछ नोट मिले जिसके बारे में उनका कहना है कि परिवार किसी धार्मिक कर्मकांड का पालन करता होगा. संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) आलोक कुमार ने बताया, ‘हमें हाथ से लिखे नोट मिले हैं जिनमें विस्तार से बताया गया है कि हाथ और पांव किस तरह बांधे जाएं और लगभग उसी तरह से 10 लोगों के शव बरामद किए गए. काफी लंबे नोट हैं और हम उनका अध्ययन कर रहे हैं.’
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पुलिस ने इस मामले में हत्या का केस दर्ज किया है लेकिन पुलिस को यह भी संदेह है कि यह आपसी सहमति से खुदकुशी करने का मामला भी हो सकता है. इस बीच , मृतकों के पड़ोसियों ने बताया कि वे काफी मददगार स्वभाव वाले थे. अमरीक सिंह नाम के एक पड़ोसी ने बताया कि परिवार द्वारा चलाई जाने वाली किराने की दुकान हर रोज सुबह छह बजे खुल जाती थी और तभी बंद होती थी जब गली में रहने वाले सारे लोग सोने चले जाते थे.
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रविवार सुबह सात बजे तक दुकान नहीं खुली तो सभी को हैरत हुई. अमरीक के पिता गुरचरण सिंह ने कहा, ‘दूध वाला दुकान के बाहर आया था. कुछ पड़ोसी वहां इकट्ठा हुए थे क्योंकि वैन का ड्राइवर बार - बार हॉर्न बजा रहा था. मैंने मेन गेट खोला और सीढ़ियों पर चढ़कर ऊपर गया तो मैंने जो कुछ देखा उससे स्तब्ध रह गया. ’’ देवेश नाम के एक अन्य पड़ोसी ने बताया , ‘‘ किसी छोटे - मोटे सामान का अनुरोध करने पर वे कभी - कभी सुबह 5:30 में भी दुकान खोल देते थे. पास में रहने वाला चाय वाला उनका पहला ग्राहक होता था क्योंकि वह दूध खरीदने आता था. ’’ स्थानीय लोगों ने भाटिया परिवार को गली में रहने वाला ‘‘ सबसे बड़ा परिवार ’’ बताया. एक पड़ोसी ने कहा , ‘‘ वे यहां 22 साल से ज्यादा समय से रह रहे थे. हमने उन्हें कभी झगड़ते या किसी पड़ोसी को नुकसान पहुंचाते नहीं देखा.
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- 11 लोगों की मौत की अनसुलझी गुत्थी
- दिल्ली में बुराड़ी के संतनगर की घटना
- घर के एक कमरे 2 रजिस्टर मिले
- रजिस्टर के नोट्स से तंत्र-मंत्र का संदेह
- तंत्र-मंत्र के ऐंगल की जांच होगी: पुलिस
- मौत और मोक्ष को लेकर लंबा लेख
- रजिस्टर में मौत के तरीक़े का भी ज़िक्र
- काफी पूजा-पाठ करने वाला परिवार
- क्राइम ब्रांच गुत्थी सुलझाने में जुटी
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पुलिस ने बताया कि 10 सदस्यों की आंखें और मुंह कपड़ों से बंधे हुए थे और उनके शव झूल रहे थे जबकि 77 साल की एक महिला फर्श पर मृत पाई गईं और उसकी आंखों और मुंह पर पट्टी नहीं बंधी थी. बच्चों के हाथ-पांव बंधे हुए थे. मकान की तलाशी के दौरान पुलिस को हाथ से लिखे कुछ नोट मिले जिसके बारे में उनका कहना है कि परिवार किसी धार्मिक कर्मकांड का पालन करता होगा. संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) आलोक कुमार ने बताया, ‘हमें हाथ से लिखे नोट मिले हैं जिनमें विस्तार से बताया गया है कि हाथ और पांव किस तरह बांधे जाएं और लगभग उसी तरह से 10 लोगों के शव बरामद किए गए. काफी लंबे नोट हैं और हम उनका अध्ययन कर रहे हैं.’
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रविवार सुबह सात बजे तक दुकान नहीं खुली तो सभी को हैरत हुई. अमरीक के पिता गुरचरण सिंह ने कहा, ‘दूध वाला दुकान के बाहर आया था. कुछ पड़ोसी वहां इकट्ठा हुए थे क्योंकि वैन का ड्राइवर बार - बार हॉर्न बजा रहा था. मैंने मेन गेट खोला और सीढ़ियों पर चढ़कर ऊपर गया तो मैंने जो कुछ देखा उससे स्तब्ध रह गया. ’’ देवेश नाम के एक अन्य पड़ोसी ने बताया , ‘‘ किसी छोटे - मोटे सामान का अनुरोध करने पर वे कभी - कभी सुबह 5:30 में भी दुकान खोल देते थे. पास में रहने वाला चाय वाला उनका पहला ग्राहक होता था क्योंकि वह दूध खरीदने आता था. ’’ स्थानीय लोगों ने भाटिया परिवार को गली में रहने वाला ‘‘ सबसे बड़ा परिवार ’’ बताया. एक पड़ोसी ने कहा , ‘‘ वे यहां 22 साल से ज्यादा समय से रह रहे थे. हमने उन्हें कभी झगड़ते या किसी पड़ोसी को नुकसान पहुंचाते नहीं देखा.
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