नई दिल्ली:
वायु गुणवत्ता में लगातार गिरावट के साथ दिल्ली में गुरुवार को हवा की गुणवत्ता महीने में सबसे खराब रही. वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मौसम के बहुत खराब- 355 के स्तर पर पहुंच गई. दो दिनों के विपरीत, ओजोन पहली बार अक्टूबर में बिगड़ती हवा की गुणवत्ता में एक प्रमुख कारक के तौर पर पाया गया.
दिल्ली के अलावा, आगरा, कानपर और फरीदाबाद सहित दूसरे शहरों में भी हवा की गुणवत्ता इसी तरह से खराब या इससे भी खराब देखने को मिली. यह सभी इलाके इसी जलवायु क्षेत्र में आते हैं.
कानपुर में एक्यूआई 451 रहा और फरीदाबाद में यह 391 के स्तर पर रहा. इन्हें 'गंभीर' की श्रेणी में रखा गया.
हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' होने से बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' होना भी स्वास्थ्य के लिए बड़े खतरे की चेतावनी है.
जानकारों ने केंद्र से मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध करने के साथ कहा कि तीन राज्यों द्वारा साझा किए जाने वाले वायु गुणवत्ता क्षेत्र में लोगों के प्रयास से हवा की गुणवत्ता में सुधार आ सकता है. साथ ही कहा कि एक्यूआई दिवाली के दौरान आगे और खराब हो सकती है.
सेंटर फॉर सांइस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) के हवा गुणवत्ता विशेषज्ञ विवेक चट्टोपाध्याय ने कहा, "दिल्ली की सड़कों पर यातायात का दबाव है, इसके साथ ही कचरा भी जलाया जा रहा. अब समय आ गया है कि सरकार बदरपुर संयंत्रों जैसे दिल्ली में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों पर निगरानी रखे."
सर्दियों के आने के साथ हवा में प्रदूषकों की मात्रा बढ़ती है. ऐसा वायुमंडलीय सीमा परतों के पृथ्वी के करीब आने से होता है, यह वायु प्रदूषण के लिए अधिक जिम्मेदार होता है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दिल्ली के अलावा, आगरा, कानपर और फरीदाबाद सहित दूसरे शहरों में भी हवा की गुणवत्ता इसी तरह से खराब या इससे भी खराब देखने को मिली. यह सभी इलाके इसी जलवायु क्षेत्र में आते हैं.
कानपुर में एक्यूआई 451 रहा और फरीदाबाद में यह 391 के स्तर पर रहा. इन्हें 'गंभीर' की श्रेणी में रखा गया.
हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' होने से बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' होना भी स्वास्थ्य के लिए बड़े खतरे की चेतावनी है.
जानकारों ने केंद्र से मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध करने के साथ कहा कि तीन राज्यों द्वारा साझा किए जाने वाले वायु गुणवत्ता क्षेत्र में लोगों के प्रयास से हवा की गुणवत्ता में सुधार आ सकता है. साथ ही कहा कि एक्यूआई दिवाली के दौरान आगे और खराब हो सकती है.
सेंटर फॉर सांइस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) के हवा गुणवत्ता विशेषज्ञ विवेक चट्टोपाध्याय ने कहा, "दिल्ली की सड़कों पर यातायात का दबाव है, इसके साथ ही कचरा भी जलाया जा रहा. अब समय आ गया है कि सरकार बदरपुर संयंत्रों जैसे दिल्ली में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों पर निगरानी रखे."
सर्दियों के आने के साथ हवा में प्रदूषकों की मात्रा बढ़ती है. ऐसा वायुमंडलीय सीमा परतों के पृथ्वी के करीब आने से होता है, यह वायु प्रदूषण के लिए अधिक जिम्मेदार होता है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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