आजकल लोग इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुख कर रहे हैं. इसमें ओला इलेक्ट्रिक स्कूटी बुक करने का एकमात्र तरीका ऑनलाइन (OLA एप्लीकेशन) है. इस अवसर का फायदा उठाने के लिए साइबर अपराधी भी सक्रिय हो चुके हैं. ऐसे ही आउटर नॉर्थ जिले की साइबर सेल ने अलग- अलग राज्यों में छापेमारी कर 20 साइबर बदमाशों को गिरफ्तार किया है. पुलिस का दावा है कि इस रैकेट ने ओला इलेक्ट्रिक स्कूटी की बुकिंग के नाम पर देश भर में 1000 से ज्यादा लोगों को ठग लिया. गिरफ्तार किए गए 20 लोगों में से 2 कर्नाटक से, 4 तेलंगाना से, 3 झारखंड से और 11 बिहार से हैं.
इन लोगों ने साइबर घोटाले के लिए https://www.electricalscooty.com/contact.php नाम की फर्जी वेबसाइट बनाई, जो कि देखने से असली जैसी लगती है. पुलिस ने आरोपियों के पास से 38 एंड्रॉइड आईओएस मोबाइल फोन, 25 कीपैड फोन, 7 लैपटॉप, 2 हार्ड डिस्क, 2 स्मार्ट वॉच, एक डोंगल, 114 सिम कार्ड बरामद किए हैं. इसके अलावा फ्रॉड के लिए यूज हो रहे 25 बैंक खाते और 4 वॉलेट को फ्रीज किया है.
दरअसल, कंझावला निवासी गोपाल सिंह ने शिकायत दी थी कि ओला इलेक्ट्रिक की बुकिंग के नाम पर उसके साथ 30998 रुपये की चीटिंग हुई है. साइबर सेल के इंस्पेक्टर रमन सिंह की टीम को टेक्नीकल सर्विलांस के जरिए आरोपियों की लोकेशन बेंगलुरु में मिली. जांच के दौरान सीडीआर, बैंक अकाउंट डिटेल और केवाईसी से सुराग मिला.
पुलिस ने बेंगलुरु के रहने वाले वेब डिजाइनर टीवी वैंकटखाला को गिरफ्तार किया है. यह मैसूर से बीई कर रहा है. इसके पास से 2 लैपटॉप, एक स्मार्ट फोन और दो हार्ड डिस्क बरामद किए. इसकी निशानदेही पर साथी आरोपी नागेश को पकड़ा. ये वेबसाइट को मैनेज करता था. साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रमोशन ऐड करता था. नागेश ने ग्राफिक्स और वेब डिजाइनिंग में डिप्लोमा किया है, इसी ने ओला स्कूटी वेबसाइट की तरह दिखने वाली वेबसाइट को डिजाइन किया था.
पुलिस दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लेकर आई. इनके खुलासे पर बिहार से ऑपरेटिव मुख्य आरोपी और रैकेट में शामिल बाकी आरोपियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया. पुलिस ने आरोपी नागेश से जालसाजों को कॉल कराया कि वह किसी आधिकारिक काम के लिए दिल्ली में है और उन्हें अपने लैपटॉप और मोबाइल फोन के साथ आने के लिए कहा. नागेश को मेदांता अस्पताल, सेक्टर 38, गुरुग्राम हरियाणा के पास मिलने के लिए बुलाया. उनके ठिकानों का पता लगाकर टीम सेक्टर 38, गुरुग्राम पहुंची और वहां से दो को पकड़ लिया.
आरोपियों की पहचान बिहार के राकेश कुमार और सुशांत कुमार के रूप में हुई.इनसे डिवाइस और अन्य चीजें बरामद कीं.आरोपी सुशांत खुद को कुलदीप सिंह बताकर अकाउंट का इस्तेमाल करता था. चूंकि यह घोटाला एक साज़िश से चलाया जा रहा था. इसलिए पूरे सिंडिकेट का पता लगाना जरूरी समझा गया. सीडीआर रिकॉर्ड के अनुसार, वह और उसके सहयोगी अपने गांव पांची बिहार से काम करते पाए गए. इनकी निशानदेही पर बिहार से दो सगे भाई अमन उर्फ रॉकी और अनेश उर्फ गोलू को पकड़ा. साथ ही इनके अन्य 14 सहयोगियों को अलग अलग जगह छापेमारी कर पकड़ लिया.
आउटर नॉर्थ के डीसीपी देवेश महला के मुताबिक ये साइबर गैंग शुरुआत में पीड़ितों को रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन मोड से 499 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा जाता था. इसके बाद उन्हें ट्रांसपोर्ट रजिस्ट्रेशन, बीमा व अन्य वजहों के लिए कॉल और टेक्स्ट मैसेज कर पैसे जमा करने के लिए कहा जाता था. पैसे मिलने के बाद ये डिलीवरी का समय बढ़ाकर पीड़ितों को गुमराह करते थे.
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