प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
ऐप आधारित कैब सेवा प्रदाताओं ओला और उबर को सोमवार को दिल्ली की एक अदालत ने आरोपी के तौर पर तलब किया. उन्हें शहर में बिना लाइसेंस के कथित तौर पर टैक्सियां चलाने और यात्रियों से अधिक पैसा वसूलने को लेकर तलब किया गया है.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने कहा कि पहली नजर में कथित तौर पर अधिक किराया वसूलने को लेकर इन फर्मों के खिलाफ परमिट उल्लंघन का मामला बनता है. यह मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है.
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अदालत ने ओला का संचालन करने वाली कंपनी एएनआई टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, उबर इंडिया सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और टैक्सी फॉर श्योर का संचालन करने वाली सेरेंडिपिटी इन्फोलैब्स प्राइवेट लिमिटेड को तलब किया और उनके अधिकृत प्रतिनिधियों को 11 दिसंबर को उपस्थित होने के लिए कहा.
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अदालत का आदेश एनजीओ 'न्यायभूमि' की याचिका पर आया. उसने तीनों फर्मों के खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाने की मांग की. यह याचिका उसने अधिवक्ता सुमित कुमार के जरिये दायर की थी. मोटर वाहन अधिनियम की धारा 93 (1) (आई) कहती है कि कोई एजेंट जो सार्वजनिक सेवा वाहनों के लिए ग्राहकों को बुलाता है, उसे अधिनियम के तहत लाइसेंस हासिल करने की जरूरत है. अदालत ने गौर किया कि फर्म कांट्रैक्ट कैरेज आधार पर सार्वजनिक सेवा वाहन चला रहे हैं.
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उन्होंने कहा, 'फर्म एग्रीगेटर के तौर पर काम कर रहे हैं, जो चालक, ग्राहक आवंटन, किराया, एसओएस प्रोटोकॉल और अन्य प्रशासनिक मुद्दों पर फैसला कर रहे हैं. यह आरोप लगाया जाता है कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 93 के तहत दिल्ली में पीएसवी चलाने के लिये कोई लाइसेंस नहीं हासिल किया गया है, जो नगर टैक्सी योजना, 2015 और एमवी अधिनियम की धारा 93 का उल्लंघन है.' अदालत ने कहा, 'इसलिए पहली नजर में एमवी अधिनियम की धारा 193 के उपबंध तीनों फर्मों के खिलाफ लागू होते हैं.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने कहा कि पहली नजर में कथित तौर पर अधिक किराया वसूलने को लेकर इन फर्मों के खिलाफ परमिट उल्लंघन का मामला बनता है. यह मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है.
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