आप के 20 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के अयोग्य होने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगी. आप विधायकों ने उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी है जिसमे उनको संसदीय सचिव होने के चलते लाभ के पद पर होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
विधानसभा भंग नही करेंगे, उपचुनाव हुआ तो सभी सीटें फिर से जीतेंगे: सिसोदिया
क्या है आप विधायकों की याचिका?
1.चुनाव आयोग की राष्ट्रपति को भेजी सिफारिश रद्द हो.
2.राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद जारी हुआ नोटिफिकेशन रद्द हो.
3.चुनाव आयोग को आदेश दिया जाए कि विधायकों की फिर से ठीक से और कानून के मुताबिक सुनवाई करे.
4. जब तक चुनाव आयोग में दोबारा सुनवाई होकर फैसला ना आये तब तक विधायकों की अयोग्यता पर रोक लगे.
क्या है आप विधायकों की दलील?
1. विधायकों ने कोई वेतन, भत्ता या ऐसा फायदा नही लिया जिससे वो लाभ के पद के दायरे में आएं.
2. विधायकों को ठीक से सुनवाई का मौका नहीं मिला. चुनाव आयोग ने 23 जून 2017 को कहा कि सुनवाई के बुलाएंगे लेकिन सुनवाई किये बिना आदेश जारी कर दिया.
नए मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा, AAP के अन्य मामलों में भी फैसला जल्द
कितने विधायकों ने की है अपील?
वैसे तो आम आदमी पार्टी के 20 विधायक अयोग्य घोषित हुए हैं लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में अभी तक केवल 8 विधायकों ने ही नोटिफिकेशन को चुनौती दी है. इन 8 विधायकों ने अपनी याचिका अलग अलग दाखिल की है. जैसे कैलाश गहलोत,मदन लाल, सरिता सिंह, शरद चौहान और नितिन त्यागी ने एक याचिका दायर की जबकि राजेश ऋषि और सोमदत्त ने अलग अपील की. अल्का लांबा ने अपनी याचिका अकेले दाखिल की.
क्या है आप विधायकों की रणनीति?
आप विधायक जानबूझकर अपनी याचिका अलग अलग या समूह में दाखिल कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक कानून के जानकारों ने आप विधायकों को सलाह दी है कि क्योंकि सब विधायकों को मामला बिल्कुल एक जैसा नही है इसलिए सब एक साथ दाखिल याचिका दायर ना करें. किसी विधायक का केस बिल्कुल बिल्कुल साफ़ है तो किसी विधायक के केस में कुछ समस्या हो सकती है जिसपर कोर्ट केस दर केस फैसला करे ना कि सबको एक ही तराजू में तौल दे. किसी केस में राहत मिलने से सबको राहत मिलने की उम्मीद होगी लेकिन लेकिन किसी केस में नकारात्मक नतीजा आया तो उम्मीद फिर भी बनी रहेगी.
कैसे 20 विधायकों का मामला एक होकर एक जैसा नहीं?
चुनाव आयोग को दिल्ली सरकार की तरफ़ से जो आधिकारिक जानकारी दी गई उसके मुताबिक, अल्का लांबा को कश्मीरी गेट पर 2 दफ़्तर मिले, PWD विभाग ने रेनोवेशन कराया लेकिन नितिन त्यागी,मदन लाल और प्रवीण कुमार ने कोई एक्स्ट्रा दफ़्तर नहीं लिया.
कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल पर किए ताबड़तोड़ हमले, गुप्ता से लेकर पार्टी कल्चर पर उठाए सवाल
संजीव झा ने परिवहन मंत्रालय में एम्प्लोयी पेंशन स्कीम को लागू करने को लेकर बैठक की अध्यक्षता और फैसले लिए. अनिल कुमार बाजपाई ने DGEHS अधिकारियों और दिल्ली सरकार के रिटायर्ड अफसरों के साथ बैठक की अध्यक्षता की जिसमें कई फैसले लिए गए. जबकि अवतार सिंह, कैलाश गहलोत, राजेश ऋषि और सरिता सिंह ने कोई फैसले लेने वाली बैठक नहीं की.
आदर्श शास्त्री ने IT मिनिस्टर के संसदीय सचिव के नाते डिजिटल इंडिया पर एक कांफ्रेंस में हिस्सा लिया और 15,479 रुपये का भत्ता लिया, जबकि ऐसा बाकी किसी विधायक के मामले में नहीं दिखा.
VIDEO: 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ आप पहुंची दिल्ली हाईकोर्ट
क्या है आप की दलील?
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा 'आप इसमें राजनीतिक दांवपेंच ढूंढ रहे हैं जो इसमें कहीं नहीं है. ऐसा कोई कानून नहीं है कि सभी विधायक दस्तखत करेंगे तभी याचिका दायर होगी. बिना सभी विधायकों के दस्तखत भी उसकी मान्यता है'.
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क्या है आप विधायकों की याचिका?
1.चुनाव आयोग की राष्ट्रपति को भेजी सिफारिश रद्द हो.
2.राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद जारी हुआ नोटिफिकेशन रद्द हो.
3.चुनाव आयोग को आदेश दिया जाए कि विधायकों की फिर से ठीक से और कानून के मुताबिक सुनवाई करे.
4. जब तक चुनाव आयोग में दोबारा सुनवाई होकर फैसला ना आये तब तक विधायकों की अयोग्यता पर रोक लगे.
क्या है आप विधायकों की दलील?
1. विधायकों ने कोई वेतन, भत्ता या ऐसा फायदा नही लिया जिससे वो लाभ के पद के दायरे में आएं.
2. विधायकों को ठीक से सुनवाई का मौका नहीं मिला. चुनाव आयोग ने 23 जून 2017 को कहा कि सुनवाई के बुलाएंगे लेकिन सुनवाई किये बिना आदेश जारी कर दिया.
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कितने विधायकों ने की है अपील?
वैसे तो आम आदमी पार्टी के 20 विधायक अयोग्य घोषित हुए हैं लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में अभी तक केवल 8 विधायकों ने ही नोटिफिकेशन को चुनौती दी है. इन 8 विधायकों ने अपनी याचिका अलग अलग दाखिल की है. जैसे कैलाश गहलोत,मदन लाल, सरिता सिंह, शरद चौहान और नितिन त्यागी ने एक याचिका दायर की जबकि राजेश ऋषि और सोमदत्त ने अलग अपील की. अल्का लांबा ने अपनी याचिका अकेले दाखिल की.
क्या है आप विधायकों की रणनीति?
आप विधायक जानबूझकर अपनी याचिका अलग अलग या समूह में दाखिल कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक कानून के जानकारों ने आप विधायकों को सलाह दी है कि क्योंकि सब विधायकों को मामला बिल्कुल एक जैसा नही है इसलिए सब एक साथ दाखिल याचिका दायर ना करें. किसी विधायक का केस बिल्कुल बिल्कुल साफ़ है तो किसी विधायक के केस में कुछ समस्या हो सकती है जिसपर कोर्ट केस दर केस फैसला करे ना कि सबको एक ही तराजू में तौल दे. किसी केस में राहत मिलने से सबको राहत मिलने की उम्मीद होगी लेकिन लेकिन किसी केस में नकारात्मक नतीजा आया तो उम्मीद फिर भी बनी रहेगी.
कैसे 20 विधायकों का मामला एक होकर एक जैसा नहीं?
चुनाव आयोग को दिल्ली सरकार की तरफ़ से जो आधिकारिक जानकारी दी गई उसके मुताबिक, अल्का लांबा को कश्मीरी गेट पर 2 दफ़्तर मिले, PWD विभाग ने रेनोवेशन कराया लेकिन नितिन त्यागी,मदन लाल और प्रवीण कुमार ने कोई एक्स्ट्रा दफ़्तर नहीं लिया.
कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल पर किए ताबड़तोड़ हमले, गुप्ता से लेकर पार्टी कल्चर पर उठाए सवाल
संजीव झा ने परिवहन मंत्रालय में एम्प्लोयी पेंशन स्कीम को लागू करने को लेकर बैठक की अध्यक्षता और फैसले लिए. अनिल कुमार बाजपाई ने DGEHS अधिकारियों और दिल्ली सरकार के रिटायर्ड अफसरों के साथ बैठक की अध्यक्षता की जिसमें कई फैसले लिए गए. जबकि अवतार सिंह, कैलाश गहलोत, राजेश ऋषि और सरिता सिंह ने कोई फैसले लेने वाली बैठक नहीं की.
आदर्श शास्त्री ने IT मिनिस्टर के संसदीय सचिव के नाते डिजिटल इंडिया पर एक कांफ्रेंस में हिस्सा लिया और 15,479 रुपये का भत्ता लिया, जबकि ऐसा बाकी किसी विधायक के मामले में नहीं दिखा.
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क्या है आप की दलील?
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