प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के दूसरे दिन रविवार को छुट्टी का दिन रहने के कारण पुस्तक प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ी। मेट्रो स्टेशनों पर मेले का टिकट खरीदने वालों की जहां लंबी कतारें देखी गईं, वहीं सभी आयुवर्ग के लोग अपनी पसंदीदा पुस्तकें खरीदते और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते नजर आए।
करीब एक लाख पुस्तक प्रेमी रविवार को मेला देखने पहुंचे। हॉल नंबर सात में बने थीम पैवेलियन में 'विविध भाषाएं, एक राष्ट्र' विषय पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री, नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. केएन तिवारी तथा नियोगी बुक्स के निर्मल कांति भट्टाचार्जी ने अपने विचार रखे।
इस अवसर पर अग्निहोत्री ने कहा कि भारत की विभिन्न भाषाएं देश को सशक्त और लोगों को एकजुट करती हैं। हॉल नंबर 14 में बने बाल मंडप में 'जुगलबंदी' नाम से एक संवादात्मक सत्र का आयोजन किया गया। लेखक मंच पर निवेदिता श्रीवास्तव द्वारा संपादित साहित्यिक पुस्तक 'काव्य' का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया।
मेले में हॉल नंबर आठ में बने साहित्य मंच पर संस्कृत साहित्य पर आधारित कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें चांद किरण सलूजा, जीतराम भट्ट और चंद्रभूषण झा ने हिस्सेदारी की। यहां मौजूद वक्ताओं का मत था कि संस्कृत प्राचीन भाषा है और यह वेदों की भाषा है। लेखक मंच पर रविवार को 'कन्फ्यूशियस सूक्ति संग्रह', 'जनता का सचिव' तथा 'हिंदी-चीनी वार्तालाप' पुस्तकों का विमोचन हुआ।
हॉल नंबर आठ में इमाम अहमद रजा एकेडमी द्वारा सूफीवाद पर एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें शुजात अली कादरी और अखलाक उस्मानी ने अपने विचार पेश किए। इस अवसर पर आतंकवाद पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमें प्रेम, शांति, सहिष्णुता तथा सद्भाव बनाए रखना चाहिए।
करीब एक लाख पुस्तक प्रेमी रविवार को मेला देखने पहुंचे। हॉल नंबर सात में बने थीम पैवेलियन में 'विविध भाषाएं, एक राष्ट्र' विषय पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री, नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. केएन तिवारी तथा नियोगी बुक्स के निर्मल कांति भट्टाचार्जी ने अपने विचार रखे।
इस अवसर पर अग्निहोत्री ने कहा कि भारत की विभिन्न भाषाएं देश को सशक्त और लोगों को एकजुट करती हैं। हॉल नंबर 14 में बने बाल मंडप में 'जुगलबंदी' नाम से एक संवादात्मक सत्र का आयोजन किया गया। लेखक मंच पर निवेदिता श्रीवास्तव द्वारा संपादित साहित्यिक पुस्तक 'काव्य' का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया।
मेले में हॉल नंबर आठ में बने साहित्य मंच पर संस्कृत साहित्य पर आधारित कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें चांद किरण सलूजा, जीतराम भट्ट और चंद्रभूषण झा ने हिस्सेदारी की। यहां मौजूद वक्ताओं का मत था कि संस्कृत प्राचीन भाषा है और यह वेदों की भाषा है। लेखक मंच पर रविवार को 'कन्फ्यूशियस सूक्ति संग्रह', 'जनता का सचिव' तथा 'हिंदी-चीनी वार्तालाप' पुस्तकों का विमोचन हुआ।
हॉल नंबर आठ में इमाम अहमद रजा एकेडमी द्वारा सूफीवाद पर एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें शुजात अली कादरी और अखलाक उस्मानी ने अपने विचार पेश किए। इस अवसर पर आतंकवाद पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमें प्रेम, शांति, सहिष्णुता तथा सद्भाव बनाए रखना चाहिए।
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