मोहल्ला क्लिनिक (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले के एक वादे के रूप में देखे जा रहे 'मोहल्ला क्लिनिक' के बाहर एक मां अपने रोते हुए बच्चे, इलाके का एक अशक्त बुजुर्ग और किराने की दुकान का एक मालिक दरवाजे खुलने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
पटपड़गंज के पश्चिमी विनोद नगर इलाके में एक संकरी गली में स्थित क्लिनिक दिल्ली सरकार द्वारा 31 मार्च को शुरू किए गए 21 क्लिनिकों में से एक है। आम आदमी पार्टी सरकार की योजना 31 दिसंबर तक ऐसी 1,000 क्लिनिक खोलने की है।
अपने शुरुआती चरण में चल रही इस पहल की आवश्यकता तब स्पष्ट हो जाती है, जब गुरुवार सुबह हाल ही में रंग-रोगन किए गए कक्षों, जल्दबाजी में तैयार किए गए फर्श वाली क्लीनिक में सुबह से ही लोगों के आने-जाने का तांता लग जाता है।
पटपड़गंज क्लिनिक की प्रभारी डॉक्टर रंजना सक्सेना ने बताया कि जब से इसका शुभारंभ हुआ है तब से वह सुबह नौ बजे से दोपहर के एक बजे बंद होने तक चार घंटे के समय में करीब 70 मरीजों को रोजाना देखती हैं।
डॉक्टर सक्सेना ने बताया, 'हम हर मरीज को देखते हैं। शुरुआत में हमें बताया गया कि यदि हम किसी सहायक को रखते हैं तो उसका व्यय सरकार वहन करेगी, लेकिन अब उसकी जगह पर हमारे साथ आशा कार्यकर्ताओं को संबंद्ध कर दिया गया है।' इसके बाद उन्होंने हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित 62 वर्षीय एक मरीज को सलाह दी और थाइराइड के लिए दर्द निवारक दवा दी।
शर्मा ने बताया कि वह पूर्व में नियमित जांच के लिए लेडी हार्डिंग अस्पताल जाते थे। अपने हाथ में पर्चा पकड़े शर्मा ने बताया, 'छोटी-मोटी बीमारियों और नियमित जांच के लिए 'मोहल्ला क्लिीनिक' एक वरदान बन कर आया है। नहीं तो, इस उम्र में अक्सर होने वाली छोटी-मोटी बीमारियों के लिए मुझे अस्पताल जाना पड़ता।'
इस बीच, रंजू देवी ने अपनी छह वर्षीय बेटी के साथ पहुंची सीमा के बारे में पूछा जो लाइन में बची हुई आखिरी व्यक्ति थीं और क्लिनिक के वेटिंग रूम में केवल एक कुर्सी के कारण वह अफसोस कर रही थीं।
रंजू ने बताया, 'मेरे जोड़ों में पिछले एक सप्ताह से दर्द हो रहा है। मैं एक निजी क्लिनिक गई थी, लेकिन मुझे मदद नहीं मिली। एक दिन किसी ने मुझे इस 'सरकारी' सुविधा के बारे में बताया। सुना है अच्छा है, देखते हैं।'
सरकार द्वारा छह महीनों के लिए अनुबंधित की गई डॉक्टर सक्सेना के मुताबिक, तीन कक्षों वाले क्लिनिक में सुविधा मुहैया कराना 'अपर्याप्त' है और नियमित रूप से दवाइयां मंगवा रहे हैं।
इस क्लिनिक में प्रवेश द्वार पर साफ शब्दों में लिखा हुआ है 'नि:शुल्क जांच, नि:शुल्क दवा और नि:शुल्क सलाह।' एक निजी लेबोरेटरी को 200 तरह की जांचों के लिए नमूना सौंपा गया है।
सहायकों में से एक ने बताया, 'हम न केवल खून या पेशाब का नमूना इकट्ठा करते हैं और लैबों के मुख्य कार्यालयों में भेजते है बल्कि हम रिपोर्ट भी लाते हैं और उन्हें मरीजों को सौंपते भी हैं। इस पूरी प्रक्रिया में एक पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
पटपड़गंज के पश्चिमी विनोद नगर इलाके में एक संकरी गली में स्थित क्लिनिक दिल्ली सरकार द्वारा 31 मार्च को शुरू किए गए 21 क्लिनिकों में से एक है। आम आदमी पार्टी सरकार की योजना 31 दिसंबर तक ऐसी 1,000 क्लिनिक खोलने की है।
अपने शुरुआती चरण में चल रही इस पहल की आवश्यकता तब स्पष्ट हो जाती है, जब गुरुवार सुबह हाल ही में रंग-रोगन किए गए कक्षों, जल्दबाजी में तैयार किए गए फर्श वाली क्लीनिक में सुबह से ही लोगों के आने-जाने का तांता लग जाता है।
पटपड़गंज क्लिनिक की प्रभारी डॉक्टर रंजना सक्सेना ने बताया कि जब से इसका शुभारंभ हुआ है तब से वह सुबह नौ बजे से दोपहर के एक बजे बंद होने तक चार घंटे के समय में करीब 70 मरीजों को रोजाना देखती हैं।
डॉक्टर सक्सेना ने बताया, 'हम हर मरीज को देखते हैं। शुरुआत में हमें बताया गया कि यदि हम किसी सहायक को रखते हैं तो उसका व्यय सरकार वहन करेगी, लेकिन अब उसकी जगह पर हमारे साथ आशा कार्यकर्ताओं को संबंद्ध कर दिया गया है।' इसके बाद उन्होंने हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित 62 वर्षीय एक मरीज को सलाह दी और थाइराइड के लिए दर्द निवारक दवा दी।
शर्मा ने बताया कि वह पूर्व में नियमित जांच के लिए लेडी हार्डिंग अस्पताल जाते थे। अपने हाथ में पर्चा पकड़े शर्मा ने बताया, 'छोटी-मोटी बीमारियों और नियमित जांच के लिए 'मोहल्ला क्लिीनिक' एक वरदान बन कर आया है। नहीं तो, इस उम्र में अक्सर होने वाली छोटी-मोटी बीमारियों के लिए मुझे अस्पताल जाना पड़ता।'
इस बीच, रंजू देवी ने अपनी छह वर्षीय बेटी के साथ पहुंची सीमा के बारे में पूछा जो लाइन में बची हुई आखिरी व्यक्ति थीं और क्लिनिक के वेटिंग रूम में केवल एक कुर्सी के कारण वह अफसोस कर रही थीं।
रंजू ने बताया, 'मेरे जोड़ों में पिछले एक सप्ताह से दर्द हो रहा है। मैं एक निजी क्लिनिक गई थी, लेकिन मुझे मदद नहीं मिली। एक दिन किसी ने मुझे इस 'सरकारी' सुविधा के बारे में बताया। सुना है अच्छा है, देखते हैं।'
सरकार द्वारा छह महीनों के लिए अनुबंधित की गई डॉक्टर सक्सेना के मुताबिक, तीन कक्षों वाले क्लिनिक में सुविधा मुहैया कराना 'अपर्याप्त' है और नियमित रूप से दवाइयां मंगवा रहे हैं।
इस क्लिनिक में प्रवेश द्वार पर साफ शब्दों में लिखा हुआ है 'नि:शुल्क जांच, नि:शुल्क दवा और नि:शुल्क सलाह।' एक निजी लेबोरेटरी को 200 तरह की जांचों के लिए नमूना सौंपा गया है।
सहायकों में से एक ने बताया, 'हम न केवल खून या पेशाब का नमूना इकट्ठा करते हैं और लैबों के मुख्य कार्यालयों में भेजते है बल्कि हम रिपोर्ट भी लाते हैं और उन्हें मरीजों को सौंपते भी हैं। इस पूरी प्रक्रिया में एक पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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