मनोज तिवारी ने कहा कि वह दिल्ली में सीलिंग तोड़ने के लिए माफी नहीं मांगेंगे.
नई दिल्ली:
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. इस हलफनामे में उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में सीलिंग तोड़ने के लिए माफी नहीं मांगेंगे. मनोज तिवारी ने अपने हलफनामे के संबंध में एनडीटीवी से बातचीत भी की. उन्होंने बातचीत में कहा, “मैंने हलफनामे में कहा है कि जो पिक एंड चूज़ हो रहा है उसको रोकने में मॉनिटरिंग कमिटी विफल रही है. मॉनिटरिंग कमिटी 2006 से काम कर रही है और 2018 आ गया है, लेकिन दिल्ली कानून के मुताबिक नहीं बन पाया है. विकिन्यूज ऐसा हो रहा है कि कुछ जगह सरकारी जमीन पर बिल्डिंग बन गई और उसको देखा तक नहीं गया. कुछ जगह तो कानून तक नहीं बनाया गया और कह दिया गया कि आप गैरकानूनी काम कर रहे हो.”
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मनोज तिवारी ने बताया कि उन्होंने न्यायमूर्ति जी से कहा है कि मॉनिटरिंग कमेटी को भंग कर दीजिए और हमें 4 साल का समय दीजिए. मैं सीलिंग ऑफिसर के रूप में कोर्ट की मदद करने को तैयार हूं. उन्होंने आग कहा कि इस संबंध में माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता. जहां सीलिंग लगाई थी वहां सीलिंग लगाना ही गैरकानूनी है. सीलिंग हो जाने पर एक लाख रुपये तो कम से कम सुनवाई के लिए देना पड़ता है. यह अन्यायपूर्ण है और यह सारी बातें कोर्ट को बताई हैं.
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उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट न्याय की भाषा समझता है और जहां अन्याय हो रहा हो उसके खिलाफ जोर से ही बोलना पड़ता है. समस्या यही हुई कि मॉनिटरिंग कमेटी ने खुद को ही सुप्रीम कोर्ट समझ लिया, मॉनिटरिंग कमेटी के लोग जज नहीं नौकरशाह हैं. कोर्ट ने उनको सम्मान दिया, लेकिन उन्होंने अपने कर्तव्य पालन ठीक से नहीं किया.
VIDEO: दिल्ली सीलिंग : मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगने से किया इनकार
बता दें दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने 16 सितंबर को उत्तर पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुर गांव में एक मकान की सीलिंग तोड़ी थी.
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मनोज तिवारी ने बताया कि उन्होंने न्यायमूर्ति जी से कहा है कि मॉनिटरिंग कमेटी को भंग कर दीजिए और हमें 4 साल का समय दीजिए. मैं सीलिंग ऑफिसर के रूप में कोर्ट की मदद करने को तैयार हूं. उन्होंने आग कहा कि इस संबंध में माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता. जहां सीलिंग लगाई थी वहां सीलिंग लगाना ही गैरकानूनी है. सीलिंग हो जाने पर एक लाख रुपये तो कम से कम सुनवाई के लिए देना पड़ता है. यह अन्यायपूर्ण है और यह सारी बातें कोर्ट को बताई हैं.
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उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट न्याय की भाषा समझता है और जहां अन्याय हो रहा हो उसके खिलाफ जोर से ही बोलना पड़ता है. समस्या यही हुई कि मॉनिटरिंग कमेटी ने खुद को ही सुप्रीम कोर्ट समझ लिया, मॉनिटरिंग कमेटी के लोग जज नहीं नौकरशाह हैं. कोर्ट ने उनको सम्मान दिया, लेकिन उन्होंने अपने कर्तव्य पालन ठीक से नहीं किया.
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बता दें दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने 16 सितंबर को उत्तर पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुर गांव में एक मकान की सीलिंग तोड़ी थी.
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