दिल्ली सरकार की वह विवादित जमीन जिसे निजी शख्स को बेच दिया गया...
नई दिल्ली:
दिल्ली के उपराज्यपाल ने सरकारी जमीन को अवैध तरीके से निजी शख्श को देने के मामले में दो दानिक्स अधिकारियों को संस्पेंड कर दिया है जबकि एक दानिक्स अधिकारी पर जांच की सिफारिश की गई है. सस्पेंड होने वाले नवेंद्र सिंह उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ओएसडी भी रह चुके हैं.
बताया जाता है कि दिल्ली अर्बन सेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड यानि स्लम बोर्ड की करोड़ों रुपये की जमीन को एक निजी शख्श को अवैध तरीके से स्थानांतरित कर दिया गया. बीजेपी का आरोप है कि सरकारी जमीन को निजी व्यक्ति को देने के मामले में पांच करोड़ की घूस ली गई.
उपराज्यपाल ने ये कारवाई मुख्य सचिव की जांच के बाद की है. सस्पेंड होने वाले अधिकारी नवेंद्र सिंह उत्तरी दिल्ली के एडीएम हैं और दूसरे अधिकारी अमित कुमार पामसी मॉडल टाउन के एसडीएम हैं. जबकि तीसरे दानिक्स के अधिकारी केसी सुरेंद्र को भी सस्पेंड करने की सिफारिश गृहमंत्रालय से की गई है.
जमीन मामले में संस्पेंड हुए अधिकारियों की तरफ से ये तर्क दिया जा रहा है. सरकार ने सन 2000 में इस जमीन को किसान से आपातकालीन प्रावधान के तहत लिया था. इसके तहत अधिग्रहित भूमि को अधिग्रहण के छह माह के अंदर निर्माण कार्य शुरू कराना होता है. दस साल तक कोई निर्माण नहीं हुआ तो संबंधित किसान ने कोर्ट से अधिग्रहण खारिज करा लिया था.
हालांकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोपी अधिकारी के ओएसडी होने की बात खारिज की है. उनका कहना है कि कुछ लोग इस बारे में अफवाह फैला रहे हैं. लेकिन बीजेपी दिल्ली प्रेसीडेंट सतीश उपाध्याय ने सिसोदिया पर भ्रष्ट अधिकारी को बचाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पांच करोड़ लेकर अधिकारी ने गलत तरीके से जमीन एक शख्श के हवाले की.
बताया जाता है कि दिल्ली अर्बन सेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड यानि स्लम बोर्ड की करोड़ों रुपये की जमीन को एक निजी शख्श को अवैध तरीके से स्थानांतरित कर दिया गया. बीजेपी का आरोप है कि सरकारी जमीन को निजी व्यक्ति को देने के मामले में पांच करोड़ की घूस ली गई.
उपराज्यपाल ने ये कारवाई मुख्य सचिव की जांच के बाद की है. सस्पेंड होने वाले अधिकारी नवेंद्र सिंह उत्तरी दिल्ली के एडीएम हैं और दूसरे अधिकारी अमित कुमार पामसी मॉडल टाउन के एसडीएम हैं. जबकि तीसरे दानिक्स के अधिकारी केसी सुरेंद्र को भी सस्पेंड करने की सिफारिश गृहमंत्रालय से की गई है.
जमीन मामले में संस्पेंड हुए अधिकारियों की तरफ से ये तर्क दिया जा रहा है. सरकार ने सन 2000 में इस जमीन को किसान से आपातकालीन प्रावधान के तहत लिया था. इसके तहत अधिग्रहित भूमि को अधिग्रहण के छह माह के अंदर निर्माण कार्य शुरू कराना होता है. दस साल तक कोई निर्माण नहीं हुआ तो संबंधित किसान ने कोर्ट से अधिग्रहण खारिज करा लिया था.
हालांकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोपी अधिकारी के ओएसडी होने की बात खारिज की है. उनका कहना है कि कुछ लोग इस बारे में अफवाह फैला रहे हैं. लेकिन बीजेपी दिल्ली प्रेसीडेंट सतीश उपाध्याय ने सिसोदिया पर भ्रष्ट अधिकारी को बचाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पांच करोड़ लेकर अधिकारी ने गलत तरीके से जमीन एक शख्श के हवाले की.
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