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अमल पीपी उपाध्यक्ष होंगे. शतरूपा चक्रवर्ती महासचिव होंगी
AISA और SFI ने मिलकर लड़ा था चुनाव
इस बार चुनाव में रिकॉर्ड 59% मतदान हुआ था
आम तौर पर AISA और SFI दोनों अलग-अलग अपने उम्मीदवार लाते थे, लेकिन इस बार इन दोनों के बीच गठबंधन हुआ. जेएनयू छात्र संघ चुनाव में रिकॉर्ड 59 प्रतिशत मतदान हुआ था, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में छह प्रतिशत अधिक है.
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में पिछले वर्ष 53.3 प्रतिशत मतदान हुआ था और विश्वविद्यालय परिसर में इस वर्ष सामने आए विवादों के मद्देनजर चुनाव को दिलचस्प माना जा रहा था.
जेएनयू छात्र संघ चुनाव के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त इशिता माना ने कहा, 'अमल पिपी, शतरूपा चक्रवर्ती और तबरेज हुसैन को क्रमश: उपाध्यक्ष, महासचिव एवं संयुक्त सचिव चुना गया.' चुनाव में केंद्रीय पैनल के लिए 18 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे, जबकि काउंसलर पद के लिए 79 उम्मीदवार मैदान में थे.
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी ट्वीट करके छात्रों को जीत की बधाई दी.
Congratulations. https://t.co/Q91P1kaGcc
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) September 10, 2016
आतंकवादी अफजल गुरु को फांसी पर लटकाए जाने के विरोध में इसी साल 9 फरवरी को जेएनयू में लगे कथित देशद्रोही नारों के विवाद के बीच इस साल छात्रसंघ चुनावों पर सभी की नजर थी. वाम संबद्ध समूहों और एबीवीपी के बीच 9 फरवरी की घटना के बाद परिसर में अपनी-अपनी विचाराधारा के प्रभाव की जंग थी.
उस घटना के बाद तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और दो अन्य छात्रों को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
पहली बार भाकपा (माले) की छात्र शाखा आइसा ने माकपा की एसएफआई के साथ गठबंधन किया है. इस गठबंधन ने काउंसलर की भी 31 में से 30 सीटों पर जीत हासिल की. एबीवीपी को केवल संस्कृत विभाग में काउंसलर की एकमात्र सीट मिली.
कन्हैया कुमार ने मोहित को बधाई दी और ट्वीट किया, 'देश जानना चाहता है. जेएनयूएसयू चुनावों में एबीवीपी का क्या हुआ. जेएनयू को बंद करो एबीवीपी को बंद करो बन गया है.' जेएनयू छात्र संघ पर वर्षों से वामपंथी संगठनों का प्रभाव रहा है और पिछले साल आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी को एक सीट हासिल हुई थी और 14 साल के अंतराल के बाद वह विश्विद्यालय में वापसी कर सकी थी. (इनपुट एजेंसी से)
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