
मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने लिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 'चुनौती 2018' के नाम से नई योजना शुरू की है जिसमें छठी कक्षा से लेकर दसवीं तक के छात्रों को एक विशेष योजना के तहत पढ़ाया जाएगा।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बताया कि "चुनौती 2018 के नाम से हमने योजन बनाई है। यह योजना उनके लिए है जो बच्चे नौंवी में फेल हुए, उनको 2018 में 10वीं पास करवाना"। दिल्ली सरकार ने इसका जो प्लान बनाया है उसके मुताबिक -
मनीष सिसोदिया ने बताया कि ''6,7,8,9,10वीं की एजुकेशन क्वालिटी बहुत खराब हुई है। नो डिटेंशन पालिसी इसका एक बड़ा कारण है। हमने कानून में संशोधन भी करके केंद्र को भेजा, केंद्र मंज़ूरी नहीं नहीं दे रहा है।" सिसोदिया के मुताबिक दिल्ली के सरकार स्कूल में पिछले 3 सालों में यानी 2013-14 में 44 फीसदी, 2014-15 में 48.5 फीसदी और 2015-16 में 50 फीसदी बच्चे फेल हुए।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बताया कि "चुनौती 2018 के नाम से हमने योजन बनाई है। यह योजना उनके लिए है जो बच्चे नौंवी में फेल हुए, उनको 2018 में 10वीं पास करवाना"। दिल्ली सरकार ने इसका जो प्लान बनाया है उसके मुताबिक -
- बच्चों के जरूरत और कमजोरी के हिसाब से विशेष ग्रुप बनाए जाएंगे।
- उनका बेसलाइन असेसमेंट करेंगे।
- इस काम में स्कूल के बेस्ट टीचर को लगाएंगे।
- जरूरत पड़ने पर एक्स्ट्रा गेस्ट टीचर नियुक्त होंगे।
- फेल हुए बच्चों की मैपिंग कराएंगे जिससे जो बच्चे 9 वीं में फेल होकर स्कूल छोड़ गए उनको वापस मुख्यधारा में लाया जा सके।
- इन बच्चों को नार्मल बच्चों की तरह, नार्मल स्कूल में नार्मल दिनों में ही पढ़ाया जाएगा न कि किसी विशेष दिन जिससे बच्चों में कोई हीन भावना न आए।
- 9वीं में फेल हुए बच्चे को अपना स्कूल बदलने की सुविधा देंगे और आगे पढ़ाएंगे।
- जो टीचर बच्चों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने में अच्छे नतीजे देंगे उनको इनाम मिलेगा।
- पिछले दो साल में 9 वीं में फेल हुए बच्चों को सरकार फिर से पढ़ने का मौका देगी।
- पत्राचार में पढ़ने वाले बच्चों को भी इसमें मौका दिया जाएगा। वे भी रोज इसमें पढ़कर इम्तिहान दे सकते हैं।
मनीष सिसोदिया ने बताया कि ''6,7,8,9,10वीं की एजुकेशन क्वालिटी बहुत खराब हुई है। नो डिटेंशन पालिसी इसका एक बड़ा कारण है। हमने कानून में संशोधन भी करके केंद्र को भेजा, केंद्र मंज़ूरी नहीं नहीं दे रहा है।" सिसोदिया के मुताबिक दिल्ली के सरकार स्कूल में पिछले 3 सालों में यानी 2013-14 में 44 फीसदी, 2014-15 में 48.5 फीसदी और 2015-16 में 50 फीसदी बच्चे फेल हुए।
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