डॉ. अनूप कुमार ने बताए इससे बचाव और उपचार के रास्ते.
अंतरराष्ट्रीय प्रास्टेट कैंसर जागरूकता माह पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया में आयोजित एक अभियान के दौरान इस विषय के विश्व विख्यात विशेषज्ञ और दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में यूरोलॉजी एंड रेनल ट्रैंस्प्लांट के विभाग प्रमुख प्रो. डॉ. अनूप कुमार ने सचेत किया कि विश्व में इस बीमारी के रोगियों की संख्या में मामले में भारत दूसरे नंबर पर है, लेकिन समय पर उपचार और संतुलित खान पान से इस पर काबू पाना आसान है. उन्होंने कहा कि प्रास्टेट कैंसर से ज्यादा डरने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि इसके रोगियों में से 90 प्रतिशत बिना ऑपरेशन के ठीक हो सकते हैं.
फेलो ऑफ नेशलन अकैडमी के लिए चुने गए जामिया के प्रोफेसर
डा. अनूप ने कहा, यह मिथक है कि प्रोस्टेट कैंसर पश्चिमी देशों की बीमारी है और भारत में यह आम तौर पर नहीं होती. हक़ीक़त यह है कि पश्चिमी देशों के बाद हमारे देश के पुरूषों में ऐसे रोगियों की तादाद सबसे ज़्यादा है. उन्होंने कहा कि जीवन शैली और खान पान में बदलाव करके इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है. साथ ही उन्होंने सलाह दी कि 50 की उम्र के बाद ‘‘पीएसए‘‘ नामक एक टेस्ट साल में एक बार कराते रहने चाहिए. इससे इस रोग पर वक़्त रहते आसानी से क़ाबू पाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जिन परिवारों में प्रास्टेट कैंसर के केस पाए जा चुके हैं, उनके परिजनों में यह रोग होने की आशंका नौ प्रतिशत बढ़ जाती है.
उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति की भारत यात्रा से पहले शिक्षाविदों का प्रतिनिधिमंडल जामिया पहुंचा
ऐसे परिवारों के सदस्यों को ज्यादा अहतियात बरतनी चाहिए. इस रोग से बचने के लिए उन्होंने जीवन शैली अनुशासित करने, सिगरेट, शराब से परहेज़ करने, नॉन वेज कम खाने, पानी ज़्यादा पीने, डिब्बा बंद खानों और फ्रिज में दो तीन से ज्यादा रखे खाद्य पदार्थों को नहीं खाने की सलाह दी. बड़ी संख्या में जेएमआई के छात्र और अध्यापक उनका लेक्चर सुनने आए. जामिया के डा. अंसारी हेल्थ सेंटर के सीएमओ, डा. इरशाद नक़्वी ने डा. अनूप द्वारा एकदम आम भाषा में इस रोग की वजहों और उससे बचाव और उपचार को पेश करने की सराहना की.
जामिया के पूर्व छात्र ने मजबूत याददाश्त से गिनीज़ बुक का रिकार्ड तोड़ा
जेएमआई रजिट्ररार ए. पी. सिद्दीक़ी :आईपीएसः ने डा. अनूप का धन्यवाद करते हुए कहा कि इनकी बताई जानकारी से सीख लेकर हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव करना चाहिए जिससे रोग को दूर करने में आसानी हो. इस पब्लिक लेक्चर का आयोजन जेएमआई के जन सम्पर्क अधिकारी-मीडिया समन्वयक कार्यालय ने सेन्टर ऑफ फिजियोथेरेपी एन्ड रिहैबिलिटेशन साइंसेज, फैकल्टी ऑफ डेंटल व अंसारी हेल्थ सेंटर के साथ संयुक्त रूप से किया था.
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डा. अनूप ने कहा, यह मिथक है कि प्रोस्टेट कैंसर पश्चिमी देशों की बीमारी है और भारत में यह आम तौर पर नहीं होती. हक़ीक़त यह है कि पश्चिमी देशों के बाद हमारे देश के पुरूषों में ऐसे रोगियों की तादाद सबसे ज़्यादा है. उन्होंने कहा कि जीवन शैली और खान पान में बदलाव करके इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है. साथ ही उन्होंने सलाह दी कि 50 की उम्र के बाद ‘‘पीएसए‘‘ नामक एक टेस्ट साल में एक बार कराते रहने चाहिए. इससे इस रोग पर वक़्त रहते आसानी से क़ाबू पाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जिन परिवारों में प्रास्टेट कैंसर के केस पाए जा चुके हैं, उनके परिजनों में यह रोग होने की आशंका नौ प्रतिशत बढ़ जाती है.
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ऐसे परिवारों के सदस्यों को ज्यादा अहतियात बरतनी चाहिए. इस रोग से बचने के लिए उन्होंने जीवन शैली अनुशासित करने, सिगरेट, शराब से परहेज़ करने, नॉन वेज कम खाने, पानी ज़्यादा पीने, डिब्बा बंद खानों और फ्रिज में दो तीन से ज्यादा रखे खाद्य पदार्थों को नहीं खाने की सलाह दी. बड़ी संख्या में जेएमआई के छात्र और अध्यापक उनका लेक्चर सुनने आए. जामिया के डा. अंसारी हेल्थ सेंटर के सीएमओ, डा. इरशाद नक़्वी ने डा. अनूप द्वारा एकदम आम भाषा में इस रोग की वजहों और उससे बचाव और उपचार को पेश करने की सराहना की.
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जेएमआई रजिट्ररार ए. पी. सिद्दीक़ी :आईपीएसः ने डा. अनूप का धन्यवाद करते हुए कहा कि इनकी बताई जानकारी से सीख लेकर हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव करना चाहिए जिससे रोग को दूर करने में आसानी हो. इस पब्लिक लेक्चर का आयोजन जेएमआई के जन सम्पर्क अधिकारी-मीडिया समन्वयक कार्यालय ने सेन्टर ऑफ फिजियोथेरेपी एन्ड रिहैबिलिटेशन साइंसेज, फैकल्टी ऑफ डेंटल व अंसारी हेल्थ सेंटर के साथ संयुक्त रूप से किया था.
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