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हांगकांग हादसे से हरे दिल्लीवालों के जख्म, भागीरथ पैलेस आग में 120 दुकानें हुई थीं खाक, न मुआवजा मिला न मदद

दिल्‍ली के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर पहले भी आग लग चुकी है. एनडीटीवी की टीम ने हांगकांग की आग के बाद ऐसे ही इलाकों का दौरा किया और यह जाना कि इन इलाकों में अब हालात कैसे हैं.

हांगकांग हादसे से हरे दिल्लीवालों के जख्म, भागीरथ पैलेस आग में 120 दुकानें हुई थीं खाक, न मुआवजा मिला न मदद
  • दिल्ली में रोजाना 200 आग की घटनाओं की कॉल आती हैं, जो त्योहारों पर 300 से अधिक हो जाती है.
  • भागीरथ पैलेस में तीन साल पहले लगी आग में 500 सौ करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ और कई दुकानें खाक हो गईं.
  • कई इलाकों में आग लगने के बाद भी बिजली के तारों का जाल और अतिक्रमण जैसी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.
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नई दिल्‍ली :

हांगकांग की आग की तपिश दिल्ली में भी महसूस की जा रही है. दिल्ली में हर रोज 200 आग की कॉल आती है और दीपावली जैसे मौके पर यह बढ़कर 315 तक जा पहुंचती है. दिल्‍ली के मुंडका और बवाना जैसे इलाकों में आग के कारण दर्जनों लोगों की मौतें हो चुकी हैं. साथ ही कई इलाकों में करोड़ों की प्रॉपर्टी हर साल आग की भेंट चढ़ जाती है. एनडीटीवी की टीम दिल्‍ली के उन इलाकों में पहुंची, जहां आग के कारण पहले जान-माल का भारी नुकसान हो चुका है. साथ ही स्‍थानीय लोगों से बात की और यह जाना कि इन इलाकों में हालात कितने बदले.

दिल्ली का भागीरथ पैलेस है, इलेक्ट्रिक सामानों का सबसे बड़ा बाजार है. यहां तीन साल पहले आग लगने से 120 दुकानें जलकर खाक हो गई थीं और करीब 500 करोड़ का नुकसान हुआ था. भागीरथ पैलेस के व्यापारी रमेश कुमार दुआ वो रात नहीं भूल पाते हैं, जब रात को उनके पास कॉल आई कि उनकी दुकान में आग लग गई है. करोड़ों रुपए का सामान स्वाहा हो गया और बीते तीन साल से वो किराए की दुकान लेकर वहां से कारोबार चलाते हैं.

रमेश कुमार दुआ कहते हैं कि हम सड़क पर आ गए हैं, न मुआवजा मिला और न सरकार की तरफ से आग को रोकने के पर्याप्त बंदोबस्त किए गए. इसी बाजार में दिल्ली इलेक्ट्रिकल ट्रेडर्स एसोसिएशन के टेक्सेशन कंवीनर अरविंद खुराना कहते हैं कि जब आग लगी तो फायर ब्रिगेड की गाड़ी दो घंटे बाद मौके पर पहुंच पाई. दरअसल, चांदनी चौक के एंट्री प्वाइंट पर पत्थर के दो बड़े खंबे गड़े थे. चांदनी चौक को विकसित करने का काम चल रहा था, उसे तोड़ने में ही डेढ़ से दो घंटे लग गए. फिर जगह जगह तारों का जाल फैला था. अगर पहले पहुंच पाती गाड़ियां तो शायद कुछ बचाव हो सकता था.

क्या तीन साल साल बाद हालात बदले ?

हांगकांग की विभीषिका ने फिर ऐसे जगहों की ओर लोगों का ध्यान दिलाया है जहां पहले कभी आग लग चुकी थी. अरविंद खुराना कहते हैं कि कुछ बिजली के तारों को अंडर ग्राउंड किया गया है, लेकिन ज्‍यादातर जगहों पर हालात अब भी वैसे ही हैं. बाजार में अतिक्रमण अब भी है वैसे ही तारों का जाल फैला हुआ है.

दिल्ली के वो अपार्टमेंट जहां कई घटनाएं

इसी तरह दिल्ली के अपार्टमेंट भी सुरक्षित नहीं हैं. मयूरा अपार्टमेंट में कई बार आग लग चुकी है. बिजली के खंभे से एक बार घर में आग लग चुकी थी, लेकिन आज भी उसी खंभे के पास कपड़ा सूख रहा था. अपार्टमेंट के RWA प्रेसिडेंट पवन कुमार बताते हैं कि बिजली के खंभे के बॉक्‍स में चिड़िया का घोंसला था, तार स्पार्क होते ही आग लगी. फिर खंभे के पास कपड़े सूख रहे थे और फिर आग फैल गई. खुशकिस्‍मती ये रही कि किसी ने रात को ये आग देख ली और लोगों को तुरंत जगाया, वरना यह बड़ा हादसा हो जाता.

यही वजह है कि हांगकांग हादसे के बाद दिल्ली की मल्टी स्टोरी बिल्डिंग और व्यावसायिक बाजारों में फायर ऑडिट करने की मांग कई लोग कर रहे हैं. दिल्ली के कई इलाके चांदनी चौक, सीलमपुर, जाफराबाद, करोलबाग जैसे कई इलाके बड़ी-बड़ी आग से जूझ चुके हैं, लेकिन अभी भी उपाय नाकाफी है.

कई जगह पहुंचने में फायर ब्रिगेड को दिक्‍कत

दिल्ली के अग्निशमन विभाग का कहना है कि समय-समय पर लोगों में जागरूकता फैलाई जाती है, लेकिन दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं, जहां फायर ब्रिगेड को पहुंचने में दिक्‍कत होती है. अब ऐसे हालात से जूझने के लिए कई छोटी मशीनें मंगवाई गई हैं. मल्टी फ्लोर तक पहुंचने के लिए हाईराइज क्रेनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. समय समय पर फायर ऑडिट किया जाता है.

बता दें कि हांगकांग के ताई पो इलाके में बुधवार को आग लग गई. इस भीषण हादसे में 100 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई और बड़ी संख्‍या में लोग अब भी लापता हैं.

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