कांग्रेस की वरिष्ठ नेता व तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित का रविवार को दिल्ली के निगम बोध घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया. दिल्ली के विकास की जब भी बात होगी तब शीला दीक्षित के योगदान को भुलाया नहीं जा सकेगा वो चाहे दिल्ली में फ्लाईओवर का जाल हो या ब्लू लाइन बसों को खत्म करना हो. दिल्ली प्रदूषण मुक्त रहे इसके लिए शीला दीक्षित ने निगम बोध घाट पर सीएनजी शवदाह गृह की आधारशिला भी रखी थी. और संयोग देखिए कि उसी सीएनजी शवदाहगृह में ही उनका अंतिम संस्कार भी किया गया. यानी साफ सुथरी दिल्ली की उनकी जो कामना थी, उनके देहांत के बाद भी उसका पूरा ख्याल रखा गया.
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शनिवार को शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने उनके घर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज पहुंचीं. लालकृष्ण आडवाणी की नम आंखें बता रही थी कि शीला दीक्षित से तमाम राजनीतिक मतभेदों के बावजूद विरोधी पार्टियों के नेताओं के बीच उनका सम्मान कैसा था. करीब 12 बजे शीला दीक्षित का पार्थिव शरीर AICC के दफ्तर पहुंचा. यहां प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी के अलावा मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे. करीब तीन बजे शीला दीक्षित की अंतिम यात्रा AICC से शुरू होते हुए दिल्ली प्रदेश कार्यालय पहुंची. यहां भी उनके हजारों समर्थक जुटे थे. करीब साढ़े तीन बजे शीला दीक्षित का पार्थिव शरीर निगम बोध घाट पहुंचा. यहां भारी बारिश के बावजूद सभी पार्टियों के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा दिखा.
करीब चार बजे शीला दीक्षित का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ हुआ. सकारात्मक राजनीति का एक अध्याय शीला दीक्षित के तौर पर भले ही खत्म हो गया हो लेकिन उनकी मिसाल लंबे वक्त तक दी जाएगी. मूसलाधार बारिश के बावजूद शीला दीक्षित के हजारों समर्थक उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे. बहुत सारे नेता अहंकार के बारे में तमाम नसीहत देते आपको दिख जाएंगे लेकिन शीला दीक्षित तीन बार की मुख्यमंत्री होने के बावजूद अहंकार और ओछी राजनीति से हमेशा दूर रहीं, यही बात उन्हें आम लोगों के नजदीक भी लाती थी.
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