आम आदमी पार्टी की चांदनी चौक विधायक अलका लांबा अब फिलहाल कांग्रेस में नहीं जा रही हैं. वह आम आदमी पार्टी में ही रहेंगी. फिलहाल आम आदमी पार्टी और अलका लांबा के बीच चल रहा विवाद सुलझ गया है. खुद अलका लांबा ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि 'खुशखबरी, आप द्वारा दोबारा सभी ग्रुप्स में जोड़ लिया गया है, मीटिंग्स के फ़ोन भी आने लगें हैं, सोमवार से चांदनी चौक लोकसभा के आप उम्मीदवार के लिये प्रचार के लिये उतर रही हूं. सब ठीक करने का आश्वासन दिया गया'. आपको बता दें कि दिसंबर 2018 में अलका लांबा और आम आदमी पार्टी के बीच विवाद की शुरुआत हुई थी. दरअसल, 1984 सिख विरोधी हिंसा मामले में भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लिया जाए ऐसा एक प्रस्ताव दिल्ली विधानसभा में पास हो गया था.
आम आदमी पार्टी सूत्रों का कहना था कि अलका लांबा ने मूल प्रस्ताव में सोमनाथ भारती से कुछ बदलाव करवाया (मूल प्रस्ताव में राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने की बात नहीं थी) जिसके चलते पार्टी की किरकिरी हुई जबकि अलका लांबा का कहना था कि उन्होंने राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने के प्रस्ताव पर समर्थन देने से इनकार कर दिया था और विधानसभा के सदन से निकल गई थी, जबकि पार्टी उनको इस प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए कह रही थी. इसके बाद से अलका लांबा को आम आदमी पार्टी के सभी व्हाट्सएप ग्रुप से हटा दिया गया था और उन्हें पार्टी की किसी बैठक में नहीं बुलाया जा रहा था. यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जब चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र, जहां से अलका लांबा विधायक हैं वहां पर पिछले महीने जनसभा की तब भी स्थानीय विधायक अलका लांबा को नहीं बुलाया गया.
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पार्टी के ऐसे रुख के चलते अलका लांबा कांग्रेस में जाने को तैयार थीं. बीते हफ्ते दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको ने कहा था कि अगर अलका लांबा कांग्रेस में आती हैं तो उन्हें खुशी होगी क्योंकि अलका लांबा पहले भी कांग्रेस में रह चुकी हैं. जिसके जवाब में अलका नामा ने कहा था कि उन्हें कांग्रेस से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है लेकिन अगर ऐसा कोई प्रस्ताव मिलता है तो मेरे लिए सम्मान की बात होगी क्योंकि मैंने कांग्रेस पार्टी को अपने जीवन के 20 साल दिए हैं. इसके बाद आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि अगर अलका लांबा आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में जाती हैं तो उनको विधायक पद से इस्तीफा देना होगा.
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कुल मिलाकर अलका लांबा और आम आदमी पार्टी में विवाद बहुत बढ़ गया था और यह लगभग तय माना जा रहा था कि अलका लांबा कभी भी कांग्रेस में जा सकती हैं क्योंकि वह पहले भी कांग्रेस में ही थीं, लेकिन अब विवाद फिलहाल सुलझता दिख रहा है. शायद आम आदमी पार्टी ने इस बात को समझा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान अगर उनकी विधायक पार्टी छोड़ेगी तो पार्टी के लिए यह अच्छे संकेत नहीं माने जाएंगे. साथ ही पिछले कुछ समय में आम आदमी पार्टी के कई नेता या तो पार्टी छोड़ दिये या फिर निकाले गए. अगर यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा तो पार्टी के लिए नकारात्मकता बढ़ती चली जाएगी. इसलिए आम आदमी पार्टी ने फिलहाल इस विवाद को सुलझा कर एक संकट को टालने की कोशिश की है.
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