विशाल आकार के मानव फेफड़ों को दर्शाते एक इंस्टॉलेशन गंगाराम अस्पताल में लगाया गया है
नई दिल्ली:
वायु प्रदूषण को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा हाल ही में जेनेवा में आयोजित वैश्विक सम्मेलन से प्रेरित होकर हेल्प दिल्ली ब्रीद इनीशिएटिव, लंग केयर फाउंडेशन तथा गंगा राम अस्पताल द्वारा संयुक्त रूप से एक अभियान शुरू किया गया. इसका उदेश्य है कि राजधानी में वायु प्रदूषण के प्रभाव के बारे में जनता और नीति निर्माताओं को तत्काल जरूरी कदम उठाने के लिए जागरूक किया जा सके. नई दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में हेल्प दिल्ली ब्रीद इनीशिएटिव तथा लंग केयर फाउंडेशन के सहयोग से विशाल आकार के मानव फेफड़ों को दर्शाते एक इंस्टॉलेशन का सोमवार को अनावरण किया गया. आयोजकों के अनुसार, फेफड़ों की यह विशाल संरचना डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेसस द्वारा जारी उस चेतावनी को याद दिलाती है कि ‘दुनिया तम्बाकू की ओर बढ़ चली है. अब विशाक्त हवा को हम नई तम्बाकू भी कह सकते हैं, जिसमें अरबों लोग हर दिन सांस लेते हैं.
सर गंगा राम अस्पताल के सेंटर फॉर चेस्ट सर्जरी के डॉ. अरविंद कुमार ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, 'मैंने पिछले 30 वर्षों में जितने ऑपरेशन किये हैं, उनमें फेफड़ों के रंग में बदलाव देखा है. इससे पहले, मैं केवल धूम्रपान करने वालों में ब्लैक डिपॉजिट पाता था और बाकी लोगों के फेफड़े गुलाबी रंग के होते थे. लेकिन, आजकल, मैं केवल काले फेफड़ों देख रहा हूं. किशोरों के फेफड़ों पर भी काले धब्बे होते हैं. यह एक डरावना सच है. इस अनूठी संरचना के साथ, हम उम्मीद करते हैं कि लोगों को वास्तविकता पता लगेगी कि उनके फेफड़ों के साथ क्या हो रहा है.' नगरिकों की बढ़ती चिंता पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक अधिसूचना में परिलक्षित होती है जो वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और देश भर में वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क को बढ़ाने पर केंद्रित है. इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने उच्च वायु प्रदूषण के दिनों के लिए ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरपी) बनाया है.
सर गंगा राम अस्पताल के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट चेयरमैन, डॉ. डी एस राणा का मनना है कि सर्दी के मौसम में हर बार, दिल्ली का वायु प्रदूषण चिंताजनक स्तर तक बढ़ जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खराब हवा के प्रभाव की तुलना एक दिन में 15-20 सिगरेट धूम्रपान करने से की जा सकती है. वायु प्रदूषण दिल्ली में खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है और नागरिकों के स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने इसे तम्बाकू जैसा एक नया खतरा कहा है. हमें इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कार्य करना होगा, अन्यथा स्वास्थ्य पर इसके परिणाम विनाशकारी होंगे. हम पहले ही अपने अस्पताल में खांसी, गले और नाक में जलन जैसी शिकायतों वाले मरीजों की संख्या बढ़ती हुई देख रहे हैं.'
गंगा राम अस्पताल में स्थापित संरचना की संकल्पना और निर्माण बैंगलोर स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन ‘झटका' द्वारा किया गया है, जो स्वच्छ वायु संबंधी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहा है. इन विशाल फेफड़ों में सफेद हेपा फिल्टर लगे हैं, जो दिल्ली की प्रदूषित हवा के संपर्क में आने पर काले रंग में बदल जाते हैं. इससे वायु प्रदूषण के प्रभाव को समझने में मदद मिलती है.
VIDEO: दमघोंटू हुई दिल्ली की हवा, धुंध की चादर बिछी
हेल्प डेल्ही ब्रीद अभियान की निदेशक सुश्री उपाध्याय का कहना है कि ‘हमारे अभियान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य और केंद्रीय स्तर पर उपचारात्मक कार्यक्रम लागू किए जाएं और नागरिकों को इसका लाभ मिलना चाहिए. हेल्प डेल्ही ब्रीद, परपज क्लाइमेट लैब का एक एडवोकेसी प्रयास है, ताकि विविध साझेदारों को एकजुट किया जा सके. इसका लक्ष्य स्वास्थ्य और पर्यावरण के मुद्दों पर नीतिगत कार्रवाई शुरू करवाना है. इस अभियान के चलते सरकार ने वायु प्रदूषण डेटा तक पहुंच में सुधार की प्रतिबद्धता जाहिर की है और दुनिया में सबसे दूरगामी सौर नीति भी लागू की है.
सर गंगा राम अस्पताल के सेंटर फॉर चेस्ट सर्जरी के डॉ. अरविंद कुमार ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, 'मैंने पिछले 30 वर्षों में जितने ऑपरेशन किये हैं, उनमें फेफड़ों के रंग में बदलाव देखा है. इससे पहले, मैं केवल धूम्रपान करने वालों में ब्लैक डिपॉजिट पाता था और बाकी लोगों के फेफड़े गुलाबी रंग के होते थे. लेकिन, आजकल, मैं केवल काले फेफड़ों देख रहा हूं. किशोरों के फेफड़ों पर भी काले धब्बे होते हैं. यह एक डरावना सच है. इस अनूठी संरचना के साथ, हम उम्मीद करते हैं कि लोगों को वास्तविकता पता लगेगी कि उनके फेफड़ों के साथ क्या हो रहा है.' नगरिकों की बढ़ती चिंता पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक अधिसूचना में परिलक्षित होती है जो वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और देश भर में वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क को बढ़ाने पर केंद्रित है. इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने उच्च वायु प्रदूषण के दिनों के लिए ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरपी) बनाया है.
सर गंगा राम अस्पताल के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट चेयरमैन, डॉ. डी एस राणा का मनना है कि सर्दी के मौसम में हर बार, दिल्ली का वायु प्रदूषण चिंताजनक स्तर तक बढ़ जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खराब हवा के प्रभाव की तुलना एक दिन में 15-20 सिगरेट धूम्रपान करने से की जा सकती है. वायु प्रदूषण दिल्ली में खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है और नागरिकों के स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने इसे तम्बाकू जैसा एक नया खतरा कहा है. हमें इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कार्य करना होगा, अन्यथा स्वास्थ्य पर इसके परिणाम विनाशकारी होंगे. हम पहले ही अपने अस्पताल में खांसी, गले और नाक में जलन जैसी शिकायतों वाले मरीजों की संख्या बढ़ती हुई देख रहे हैं.'
गंगा राम अस्पताल में स्थापित संरचना की संकल्पना और निर्माण बैंगलोर स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन ‘झटका' द्वारा किया गया है, जो स्वच्छ वायु संबंधी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहा है. इन विशाल फेफड़ों में सफेद हेपा फिल्टर लगे हैं, जो दिल्ली की प्रदूषित हवा के संपर्क में आने पर काले रंग में बदल जाते हैं. इससे वायु प्रदूषण के प्रभाव को समझने में मदद मिलती है.
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हेल्प डेल्ही ब्रीद अभियान की निदेशक सुश्री उपाध्याय का कहना है कि ‘हमारे अभियान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य और केंद्रीय स्तर पर उपचारात्मक कार्यक्रम लागू किए जाएं और नागरिकों को इसका लाभ मिलना चाहिए. हेल्प डेल्ही ब्रीद, परपज क्लाइमेट लैब का एक एडवोकेसी प्रयास है, ताकि विविध साझेदारों को एकजुट किया जा सके. इसका लक्ष्य स्वास्थ्य और पर्यावरण के मुद्दों पर नीतिगत कार्रवाई शुरू करवाना है. इस अभियान के चलते सरकार ने वायु प्रदूषण डेटा तक पहुंच में सुधार की प्रतिबद्धता जाहिर की है और दुनिया में सबसे दूरगामी सौर नीति भी लागू की है.
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