
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार का दिन इस साल का सबसे प्रदूषित दिन रहा। शहर में पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर सबसे अधिक दर्ज किया गया और पूरे शहर में हवा की गुणवत्ता ‘‘चिंताजनक’’ श्रेणी में रही।
हालांकि, तत्काल इसके कारणों का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार खुले में बायोमास को जलाये जाने और ठंड से राहत पाने के लिए सूखे पत्तों को जलाने से पूरे इलाके में पार्टिकुलेट मैटर के स्तर में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। दिवाली के बाद से ही शहर की हवा की गुणवत्ता ‘चिंताजनक’ स्थिति में थी लेकिन इस महीने की शुरुआत में प्रदूषकों में धीरे-धीरे कमी दर्ज की गई थी।
केंद्र के वायु गुणवत्ता एवं मौसम की भविष्यवाणी और अनुसंधान प्रणाली (एसएएफएआर) ने कहा कि पीएम 2.5 का औसत स्तर 295 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम 10 का औसत स्तर 470 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा जो चिंताजनक स्तर है। हवा में प्रदूषण के इन घटकों की मात्रा क्रमश: 60 और 100 रहने पर उसे सुरक्षित स्तर माना जाता है।
वायु में प्रदूषण का यह स्तर स्वस्थ लोगों को प्रभावित करता है और पहले से बीमार लोगों पर इसका गंभीर परिणाम देखने को मिल सकता है।
हालांकि, तत्काल इसके कारणों का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार खुले में बायोमास को जलाये जाने और ठंड से राहत पाने के लिए सूखे पत्तों को जलाने से पूरे इलाके में पार्टिकुलेट मैटर के स्तर में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। दिवाली के बाद से ही शहर की हवा की गुणवत्ता ‘चिंताजनक’ स्थिति में थी लेकिन इस महीने की शुरुआत में प्रदूषकों में धीरे-धीरे कमी दर्ज की गई थी।
केंद्र के वायु गुणवत्ता एवं मौसम की भविष्यवाणी और अनुसंधान प्रणाली (एसएएफएआर) ने कहा कि पीएम 2.5 का औसत स्तर 295 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम 10 का औसत स्तर 470 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा जो चिंताजनक स्तर है। हवा में प्रदूषण के इन घटकों की मात्रा क्रमश: 60 और 100 रहने पर उसे सुरक्षित स्तर माना जाता है।
वायु में प्रदूषण का यह स्तर स्वस्थ लोगों को प्रभावित करता है और पहले से बीमार लोगों पर इसका गंभीर परिणाम देखने को मिल सकता है।
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